नई दिल्ली: मुस्लिम पारिवारिक कानून पर मुस्लिम महिलाओं की वर्तमान सोच पर एक रायशुमारी की गई है। इस सर्वे के तहत एक एक गैरसरकारी संस्था भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने देश में 4710 मुस्लिम महिलाओं की राय जानी। सर्वे के दौरान शादी, तलाक, एक से ज्यादा शादी, घरेलू हिंसा और शरिया अदालतों पर महिलाओं ने खुलकर अपनी राय जाहिर की।


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सर्वे में ज्यादतर मुस्लिम महिलाओं ने एक साथ बोल कर तलाक (तीन बार) देने की परंपरा को बदलने की मांग की है। देश की 92 फीसदी मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि तीन बार तलाक बोलने से रिश्ता खत्म होने का नियम एक तरफा है और इस पर रोक लगनी चाहिए।


सर्वें में शामिल 55 फीसदी औरतों की शादी 18 साल से कम उम्र में हुई और 44 फीसदी महिलाओं के पास अपना निकाहनामा तक नहीं है। सर्वे के मुताबिक 53.2 फीसदी मुस्लिम महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं। 75 फीसदी औरतें चाहती थीं कि लड़की की शादी की उम्र 18 से ऊपर हो और लड़के की 21 साल से ऊपर होनी चाहिए। सर्वे के दौरान जो पता चला उसके मुताबिक 40 फीसदी औरतों को 1000 से भी कम मेहर मिली, जबकि 44 फीसदी को तो मेहर की रकम मिली ही नहीं।


सर्वे में शामिल 525 तलाकशुदा महिलाओं में से 65.9 फीसदी का जुबानी तलाक हुआ जबकि 78 फीसदी का एकतरफा तरीके से तलाक हुआ। 83.3 फीसदी मुस्लिम महिलाओं को लगता है कि मुस्लिम कानून लागू हो, तो उनकी पारिवारिक समस्याएं हल हो सकती हैं और सरकार को इसके लिए कदम उठाने की जरूरत है। इस अध्ययन में शामिल 73.1 फीसदी महिलाओं ऐसी थीं, जिनके परिवार की सालाना आय 50 हजार रुपये से कम है। सर्वे में शामिल 95.5 फीसदी मुस्लिम महिलाओं ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का नाम ही नहीं सुना।