नई दिल्ली:  सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के मामले से जुड़ा सबसे बड़ा सच अब देश के सामने है. मुंबई में 14 जून को सुशांत की हत्या नहीं हुई, बल्कि उन्होंने खुद आत्महत्या की थी. सवाल उठता है कि सुशांत सिंह राजपूत पर 'झूठ' से किसे फायदा हुआ? क्या TRP के लिए मीडिया ने देश को जमकर 'मनोहर कहानियां' सुनाईं?


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दरअसल AIIMS की फोरेंसिक रिपोर्ट ने सुशांत राजपूत की मौत के सस्पेंस से पर्दा हटा दिया है. CBI को सौंपी गई AIIMS की रिपोर्ट कहती है कि 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत की मुंबई में उनके घर पर हत्या नहीं हुई बल्कि सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की थी. 


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यहां समझने वाली बात ये है कि ऐसा हो सकता है कि सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाया गया हो. ऐसा हो सकता है कि सुशांत की खुदकुशी के पीछे ड्रग्स गैंग का हाथ हो. लेकिन बॉलीवुड, सियासी गलियारे और मीडिया में जो लोग कल तक ये कह रहे थे कि सुशांत को मारा गया. AIIMS की रिपोर्ट सामने आते ही उन्होंने खामोशी की चादर ओढ़ ली है. 


मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने कहा कि उनकी पुलिस की जांच शुरू से सही थी. लेकिन उस पर जानबूझकर उंगलियां उठाई गई. जिससे जांच भटकाई जा सके. अब एम्स की रिपोर्ट ने मुंबई पुलिस की जांच को सही सिद्ध कर दिया है. सुशांत केस में निष्कर्ष सही निकलेगा, इसका हमें भी भरोसा है.


अब सवाल ये है कि क्या वे लोग जवाब देंगे. जिन्होंने शुरू से सुशांत के केस में देश को झूठी जानकारियां दीं. TRP के लिए दिन रात चैनलों पर मनोहर कहानियां चलाते रहे. क्या सुशांत की मौत का सच 'थ्योरी गैंग' को कबूल होगा? आखिर सुशांत की आत्महत्या को हत्या किसने बनाया? सुशांत सिंह राजपूत पर 'झूठ' से  किसे फायदा हुआ? और मीडिया की 'मनोहर कहानियां' पर फुलस्टॉप कब लगेगा?