Home Ministry in Maharashtra: महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद अब विभागों के बंटवारे को लेकर मंथन जारी है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पांच दिसंबर को शपथ ली थी, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के आवंटन पर अब भी सहमति नहीं बन पाई है. गृह विभाग को लेकर शिवसेना की मांग ने मंत्रिमंडल गठन में देरी कर दी. शिवसेना के कुछ नेताओं का कहना है कि शिंदे जो कहेंगे वही मानेंगे..  जबकि कुछ नेताओं के अंदर सुगबुगाहट है कि अभी भी गृह विभाग को लेकर बातचीत चल रही है. फ़िलहाल माना जा रहा है कि आठ दिसंबर तक इस पर स्थिति स्पष्ट हो सकती है.


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शिवसेना गृह मंत्रालय पर जोर दे रही..
असल में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी अजित पवार गुट की महायुति ने 288 सदस्यीय सदन में 230 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया. इसके बावजूद, आंतरिक खींचतान और दबाव के चलते नई सरकार का गठन समय पर नहीं हो सका. फडणवीस के नेतृत्व में सरकार का विस्तार 11 या 12 दिसंबर को होने की संभावना है. बीजेपी और एनसीपी के साथ मिलकर काम करने के लिए शिवसेना गृह मंत्रालय पर जोर दे रही है, जिससे समीकरण और चुनौतीपूर्ण हो गए हैं.


आंतरिक बैठकें लगातार हो रही..
पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने गृह विभाग पर अपनी दावेदारी ठोक दी है. शिवसेना के नेता उदय सामंत और संजय शिरसाट ने खुले तौर पर इस मांग का समर्थन किया है. बीजेपी और एनसीपी के सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल गठन को लेकर आंतरिक बैठकें लगातार हो रही हैं. भारी चुनावी जनादेश ने महायुति के भीतर हर सहयोगी दल को महत्वपूर्ण भूमिका देने की चुनौती पैदा कर दी है.


फैसला दो-तीन दिन में हो सकता..
महायुति में विभागों के आवंटन को लेकर चर्चा तेज है. सूत्रों के मुताबिक, 132 सीटें जीतने वाली बीजेपी अपने पास मुख्यमंत्री और 21-22 मंत्री पद रख सकती है. शिवसेना को 11-12 विभाग और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को 9-10 विभाग दिए जा सकते हैं. महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं. मंत्रिमंडल विस्तार में शपथ लेने वाले मंत्रियों की संख्या पर अंतिम फैसला दो-तीन दिन में हो सकता है.


महायुति की जीत के बावजूद विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए), जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) शामिल हैं, केवल 46 सीटें जीत पाई. ऐसे में महायुति की चुनौती सिर्फ विभागों के बंटवारे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देखना भी होगा कि गठबंधन की यह समन्वय सरकार भविष्य में किस तरह अपना संतुलन बनाए रखती है. पीटीआई इनपुट