Prajwal Revanna News: जनता दल (सेक्युलर) के सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन शोषण मामले ने डिप्लोमेटिक पासपोर्ट को सुर्खियों में ला दिया है. दरअलल रेवन्ना ने राजनयिक पासपोर्ट पर जर्मनी की यात्रा की और इसके के लिए राजनीतिक मंजूरी भी नहीं मांगी. 


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बताया जाता है कि पूर्व पीएम एच.डी. देवेगौड़ा के पोते रेवन्ना ने अपने हासन निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने के एक दिन बाद 27 अप्रैल को भारत छोड़ दिया था. जनता दल (सेक्युलर) ने हासन से सांसद को पहले ही पार्टी से निलंबित कर दिया है.


विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
पीटीआई-भाषा के मुताबिक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 2 मई को कहा कि 'उक्त सांसद की जर्मनी यात्रा के संबंध में हमसे कोई राजनीतिक मंजूरी न तो मांगी गई और न ही यह जारी की गई.'


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'जाहिर है, कोई वीजा नोट भी जारी नहीं किया गया था। राजनयिक पासपोर्ट धारकों को जर्मनी की यात्रा के लिए किसी वीजा की आवश्यकता नहीं है। मंत्रालय ने किसी अन्य देश के लिए भी कोई वीजा नोट जारी नहीं किया है।'


इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने 1 मई को प्रधानमंत्री से रेवन्ना के राजनयिक पासपोर्ट को रद्द करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह किया, जिसका इस्तेमाल जद (एस) नेता ने विदेश यात्रा के लिए किया था.


क्या होता है डिप्लोमेटिक पासपोर्ट?
राजनयिक पासपोर्ट, जो अपने मैरून कवर से पहचाने जाते हैं. ये नियमित पासपोर्ट से मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मिले विशेषाधिकारों के मामले में अलग होते हैं.


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डिप्लोमेटिक पासपोर्ट डिप्लोमेट्स और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के लिए उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्रा या आधिकारिक कर्तव्यों के लिए दिए जाते हैं। सांसदों, मंत्रियों, राजनयिकों और कुछ उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों को भी यह पासपोर्ट मिलता है.


डिप्लोमेटिक पासपोर्ट पांच साल या उससे कम के लिए वैध होते हैं. हालांकि वैधता इससे भी तय होती है कि पासपोर्ट होल्डर कितने बड़े ओहदे पर है, या फिर वो किस तरह के काम के लिए बाहर जाता-आता रहता है.


आम नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए वीजा की आवश्यकता होती है, राजनयिक पासपोर्ट धारकों को कुछ देशों में इससे छूट का आनंद मिलता है।


प्रज्वल रेवन्ना के मामले दरअसल 2011 में जर्मनी के साथ भारत के वीजा छूट समझौते से जुड़ा है. यह समझौता भारतीय राजनयिक पासपोर्ट धारकों को 90 दिनों तक बिना वीजा के जर्मनी की यात्रा करने की अनुमति देता है।


हालांकि, वीज़ा छूट के बावजूद, डिप्लेमोटिक पासपोर्ट वाले व्यक्तियों को विदेश में निजी यात्राओं के लिए पूर्व राजनीतिक मंजूरी प्राप्त करने की जरुरत होती है.