शक्तिशाली रियासत की महारानी जिसे हुआ दीवान से प्यार, भारतीय इतिहास की एक मशहूर प्रेम कहानी
Princely States of India: महारानी सेथु लक्ष्मीबाई और दीवान सीपी रामास्वामी की प्रेम कहानी के चर्चे दूर - दूर तक फैल गए. यहां तक कि भारत के वायसराय को भी इस बारे में जानकारी मिली.
Travancore Princely State: आजादी से पहले दक्षिण भारत में त्रावणकोर नाम की रियासत थी. यहां की महारानी सेतु लक्ष्मीबाई और मंत्री सर सीपी रामास्वामी की प्रेम कहानी इतिहास में काफी चर्चित रही है. दीवान जर्मनीदास ने की किताब 'महारानी' में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है. जर्मनीदास लिखते हैं कि त्रावणकोर रियासत के राज के नाबालिग होने की वजह से सारा राजकाज महारानी सेथु लक्ष्मीबाई राजकाज चलाती थीं.
रियासत के दीवान सर सीपी रामास्वामी प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे. माना जाता था कि उनकी पहुंच लंदन तक थी. वहीं दूसरी तरफ महारानी सेथु लक्ष्मीबाई की सुंदरता के चर्चे भी चारों ओर होते थे.
पहली नजर में महारानी पर फिदा हुए रामास्वामी
रामास्वामी जब पहली बार महारानी से मिले तो उनकी सुंदरता देख महारानी पर फिदा हो गए. अंग्रेजों के साथ अपने दोस्तना संबंधों का फायदा उठाकर वह रियासत में दीवान के पद पर नियुक्त हो गए. बता दें तत्कालीन समय में दीवान बनने के लिए वायसराय की अनुमति लेनी होती थी.
दोनों के बीच प्रगाढ़ प्रेम संबंध बन गए
दीवान बनने के बाद रामास्वामी ने रानी से नजदीकियां बढ़ानी शुरू की. महारानी की तरफ से भी उन्हें प्रेम का जवाब प्रेम से मिला. धीरे-धीरे दोनों के बीच प्रगाढ़ प्रेम संबंध बन गए. एक बार दोनों गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए लिए पानी के जहाज से लंदन गए थे. जर्मनीदास की किताब के मुताबिक जहाज पर दोनों खुले तौर पर प्रेम का इजहार करते दिखते थे.
कहा जाता है कि यह दीवान और महारानी की यह लव स्टोरी के चर्चे दूर - दूर तक फैल गए. यहां तक कि वायसराय को भी इस बारे में जानकारी मिली.
आजादी के बाद क्या हुआ?
दीवान रामास्वामी के कई फैसलों से जनता बहुत खुश नहीं थी. आजादी के बाद रामास्वामी ने युवा महाराजा को अपने प्रभाव में लेकर त्रावणकोर की रियासत को आजाद घोषित कर दिया जबकि वहां की जनता भारत से विलय चाहती थी.
जनता में रामास्वामी को लेकर गुस्सा था. इसी दौरान किसी ने उनपर किसी ने चाकू से हमला कर दिया. वह गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बाद त्रावणकोर ने भारत में मिलने की घोषणा कर दी.
आजादी के बाद रामास्वामी लंदन चले गए जहां 1966 में उनका निधन हुआ जबकि महारानी पहले बेंगलुरु में शिफ्ट हो गईं. 1985 में वहीं उनका निधन हो गया.
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