नई दिल्‍ली : 'हम सरेंडर के लिए नहीं कहेंगे. इस घर में सिर्फ उसकी लाश आएगी. अगर वह जिंदा आ भी गया, तो मैं खुद उसकी गर्दन काट दूंगी.' दिल और दिमाग को हिलाने वाले यह अल्‍फाज आतंक की रास्‍ते पर चल निकल चुके एक आतंकी की पत्‍नी के हैं. दरअसल, जम्‍मू-कश्‍मीर में इन दिनों सेना के अधिकारी उन नौजवानों के परिजनों से मिल रहे हैं जो आतंकियों के बहकावे में आकर आतंक के रास्‍ते पर निकल पड़े हैं. इसी कोशिश के तहत सेना के कुछ अधिकारी घाटी के एक परिवार से मिलने के लिए पहुंचे थे. सेना के अधिकारी आतंकी बन चुके युवक के पिता को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि वह अपने बेटे को सरेंडर के लिए राजी करे. सेना के अधिकारियों ने समझाया कि 'आंतक के रास्‍ते में कुछ नहीं रखा है. उसके पास अभी मौका है कि वह समाज की मुख्‍य धारा में लौट आए.'


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सेना के अधिकारी आतंकी के पिता को समझाते हुए कह रहे थे वह अपने बेटे को समझाएं. वह उनके (सेना के) कहने से सरेंडर नहीं करेगा. जब आप बोलोगे तब ही वह सरेंडर करेगा. सेना के अधिकारी के समझाने पर आतंकी के पिता का जवाब था कि 'सरेंड कौन करता है, जो एक बार निकल गया वह वापस कहां आता है.' जिस पर सेना के अधिकारी ने समझाते हुए कहा कि जरूरत पड़ी तब हम आपको बुलाएंगे, आपको पूरा मौका देंगे कि आप अपने बेटे को समझाकर सरेंडर करने के लिए तैयार करें. सेना के अधिकारियों और आतंकी के पिता के बीच यह संवाद चल ही रहा था, तभी आतंकी की पत्‍नी संवाद के बीच में आ गई. आतंकी की पत्‍नी का रुख बेहद तीखा था. आतंकी की पत्‍नी ने सेना के अधिकारी से सीधा सवाल किया - 'आपका क्‍या मतलब है, आप हमें क्‍यूं बुलाएंगे'


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आतंकी की पत्‍नी के सवाल पर सेना के अधिकारी ने बेहद शालीनता से कहा - 'हम आपको इसलिए बुलाएंगे, क्‍योंकि हो सकता है वह कभी किसी घर में फंस जाए. तब हम आपको बुलाएंगे ताकि आप उसे समझा सको. आप उसे समझाना कि वह हथियार फेंककर सेना के सामने सरेंडर कर दे.' सेना के अधिकारी के समझाने के बावजूद आतंकी की पत्‍नी ने बेहद तीखा जवाब दिया - 'हम नहीं बोलेंगे उसे सरेंड करने के लिए, अगर वह जिंदा वापस आ भी जाए तो मै खुद उसको अपने हाथों से मौत के घाट उतार दूंगी.' आतंकी की पत्‍नी के इस तीखे तेवर ने एक बार सेना के अधिकारियों को भी चौंका दिया. सेना के अधिकारियों ने धैर्य दिखाते हुए एक बार फिर समझाने की कोशिश की - 'घर का बच्‍चा है, घर वापस आ जाए इससे अच्‍छी क्‍या बात हो सकती है.'


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आतंकी की पत्‍नी का रुख अभी भी सख्‍त और तीखा बना हुआ था. उसने सेना के अधिकारी की इस बात पर तुरंत पलटवार करते हुए कहा, 'हमें क्‍या जरूरत है उसकी. हम क्‍यूं उसको वापस बुलाएं. हमें कोई जरूरत नहीं हैं उसकी.' सेना के अकारियों ने अपनी कोशिश जारी रखी. सेना के अधिकारी बोले कि 'अक्‍सर बच्‍चे नाराज होकर घर से निकल जाते हैं. कभी-कभी वह भटक कर गलत रास्‍ते में चले जाते हैं. हो सकता है उसका किसी से झगड़ा हुआ हो, अम्‍मी से या किसी और से. इसी नाराजगी में वह घर छोड़कर गलत रास्‍ते में निकल गया हो. घर का बच्‍चा है, उसकी घर में जरूरत है. हमें अभी तक समझ में नहीं आ रहा है कि नौजवान आखिर हथियार क्‍यों उठा रहे हैं. हथियार उठाने से उन्‍हें क्‍या मिल रहा है.'


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आतंकी की पत्‍नी ने जवाब दिया 'न ही लड़ाई हुई है और न ही कोई झगड़ा है. उन्‍होंने जो भी किया, जैसे भी किया, मुझे पता नहीं. वह किसी को बताए बिना अपनी मर्जी से चले गए. उन्‍हें लग रहा है कि अच्‍छा किया है तो अच्‍छा ही किया होगा. अब हमें क्‍या लेना-देना है. अब हम उनका मुंह नहीं देखना चाहते हैं. हम उनका मुंह उसी दिन देखेंगे जब उनकी लाश इस घर में आएगी. वह जिंदा आ गया तो मै खुद उसकी गर्दन अपने हाथों से काट दूंगी.' सेना के अधिकारियों को अब तक समझ में आ चुका था कि आतंक के रास्‍ते में निकल चुके इस घर के बेटे ने अपनों को बुरी तरह से तोड़ दिया है. आतंकी की पत्‍नी की नाराजगी का आलम यह है कि वह किसी भी सूरत में अब अपने पति की शक्‍ल देखने को भी तैयार नहीं हैं. जिसके बाद सेना के अधिकारी इस घर से वापस आ गए.