क्या AIDS की तरह Coronavirus भी लाइलाज बीमारी है? दबी जुबान साइंटिस्ट भी मान रहे
अब इंसानों को इस वायरस के साथ जीने की आदत डालनी होगी.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) का पहला मामला दिसंबर महीने में सामने आया था. सामान्य फ्लू के रूप में उभरे इस वायरस ने अब महामारी का रूप धारण कर लिया. पिछले पांच महीने में दुनिया के ज्यादातर देशों में पॉजिटिव मामले बढ़ ही रहे हैं. मौत का आंकड़ा भी थम नहीं रहा है. दुनिया से सभी साइंटिस्ट इस वायरस का टीका बनाने में जी जान से जुटे हैं. लेकिन पांच महीने की कड़ी मेहनत के बावजूद सफलता हाथ नहीं लगने के बाद वैज्ञानिक नए निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अब इंसानों को इस वायरस के साथ जीने की आदत डालनी होगी.
एड्स की तरह कोरोना भी हो रहा लाइलाज साबित
दुनिया के ज्यादातर कंपनियां कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटी- फ्लू टीके तैयार करने में लगे हुए हैं. लेकिन पांच महीने बीत जाने के बाद भी किसी कंपनी या वैज्ञानिक की दवा कारगर साबित नहीं हो पाई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वेबसाइट के अनुसार लगभग 90 से ज्यादा संस्थाएं और कंपनियां कोरोना वायरस का टीका तैयार करने में जुटी हुई हैं. लेकिन फिलहाल क्लिनिकल ट्रायल पूरे नहीं होने की वजह से इन टीकों के नतीजे नहीं आए हैं.
भारतीय डॉक्टर भी दे रहे हैं संकेत
हाल ही में ऑल इंडिया इंस्टिट्युट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि हमें अब कोरोना वायरस के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी. जानकारों का कहना है कि भारतीय वैज्ञानिक और डॉक्टर भी मानने लगे हैं कि कोरोना वायरस का टीका निकट भविष्य में तैयार होता नहीं दिख रहा. ऐसे में अब बचाव ही एकमात्र उपाय है.
ये भी पढ़ें: शराब की बिक्री से राज्यों की एक दिन में ही हुई बंपर कमाई, महाराष्ट्र चाहता है 2000 करोड़ रुपये कमाना
एड्स और डेंगू अब तक हैं लाइलाज
उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में एक वक्त महामारी बन चुके एड्स (AIDS) और डेंगू (Dengue) का अभी तक कोई ठोस इलाज नहीं है. वैज्ञानिकों ने इन दो बीमारियों के इलाज के लिए भी कई टीके तैयार किए. लेकिन इन दोनो ही बीमारियों का सटीक टीका तैयार नहीं हो पाया. बताते चलें कि पिछले चालीस साल में एड्स की वजह से लगभग 3.20 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन आज तक इसका टीका तैयार नहीं हो पाया. इसी तरह पूरी दुनिया में डेंगू की वजह से हर साल 4 लाख लोग दम तोड़ देते हैं पर आज तक दुनिया के वैज्ञानिक इस बीमारी का इलाज नहीं ढूंढ पाए हैं.