नई दिल्ली. दोपावली का त्योहार बेहद अनोखा होता है. खासतौर पर बच्चों को ये दिन काफी पसंद होता है. दिवाली का त्योहार बच्चों के लिए किसी खेल से कम नहीं होता. रिस्क के बावजूद इस मौके पर उन्हें आतिशबाजी में कुछ ज्यादा ही मजा आता है. लेकिन बढ़ते प्रदूषण की वजह से कई जगहों पर पटाखों पर बैन लगा दिया गया है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के एक बच्चे ने बच्चों के लिए अनोखा पटाखा बनाया है. जिसमें न ही कोई खतरा है और न ही इससे प्रदूषण होता है. 


मिट्टी से तैयार किया है ये इनोवेटिव दीया


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जानकारी के अनुसार वाराणसी के सक्षम स्कूल में 7वीं क्लास में पढ़ने वाली अपेक्षा पटेल ने इस नायाब खिलौने को इजाद किया है. उन्होंने एक अनोखा दीया है बनाया है, जो रोशनी के साथ आतिशबाजी का भी भरपूर आनंद देता है. अपेक्षा ने दिवाली के लिए ये इनोवेटिव दीपक मिट्टी से तैयार किया है. 


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सोलर पैनल से चार्ज होता है दीया


यह दीया प्रदूषण रहित है, क्योंकि यह सोलर पैनल से चार्ज होने पर जलता है. वैसे इसे तेल से भी जलाया जा सकता है. अपेक्षा ने अपने इस अनोखे दीए का नाम चार्जेबल प्रदूषण रहित पटाखा रखा है.


पटाखे जैसी तेज आवाज का भी देता है मजा


7 वीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची द्वारा बनाया गया यह प्रदूषण रहित थ्री इन वन पटाखे वाला दीया इस समय बनारस में काफी चर्चा में है. छात्रा ने इस मिट्टी के स्मार्ट दिये में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है कि ये रोशनी के साथ-साथ पटाखे जैसी तेज आवाज भी करते हैं. यह रिमोट से जलता है, जिसमें सेंसर लगाया गया है और दीये के सामने आते ही तेज पटाखे जैसा आवाज करता है.


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12 दिन में तैयार किया है दीया


अपेक्षा ने बताया कि पटाखे के धुंए के कारण प्रदूषण बहुत फैलता था, इसी वजह से ये स्मार्ट प्रदूषण रहित पटाखा दीया बनाया है. इस दीये को मिट्टी और कुछ उपकरणों को जोड़कर बनाया गया है. इसे चलाने के लिए खिलौने का रिमोर्ट इस्तेमाल किया है. दीया सोलर से चार्ज हो जाता है. पटाखे के आनंद के लिए एक इलेक्ट्रिानिक सर्किट लगा है. जो रिमोट दबाते ही पटाखे की आवाज करने लगता है. एक बार में 450 बार यह पटाखा आवाज करता है. तीन घंटे चार्ज होंने पर ये दीया 4-5 दिनों तक चलेगा. स्पार्क पटाखा कई सालों तक चलाया जा सकता है. छात्रा अपेक्षा पटेल ने मेक इन इंडिया फॉमूर्ला के तहत अपने इस शानदार दीये का नाम प्रदूषण रहित दिवाली गैजेट दिया है. उन्होंने बताया कि प्रदूषण रहित स्मार्ट दिये बनाने में 12 दिन का समय लगा है और इसमें 350 रुपये का खर्च आया है.


वाराणसी के सक्षम इंग्लिश स्कूल की फाउंडर सुबिना चोपड़ा और विनीत चोपड़ा का कहना है कि उनके स्कूल में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ इनोवेशन के फील्ड में विशेष ध्यान दिया जाता है. इसके लिए स्कूल में जूनियर कलाम इनोवेशन लैब की स्थापना की गई है. इस लैब में बच्चे नए-नए आईडिया को साकार करते हैं.


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