Earthquake: दुनियाभर में 72 घंटे के भीतर भूकंप के तीन बड़े झटके, क्या ये किसी बड़ी तबाही का संकेत
Earthquake: दुनियाभर में दो बड़े भूकंप के झटकों के बाद जापान (Japan) में 7.1 तीव्रता का भूकंप आने से सनसनी फैल गई. इस भूकंप का केंद्र फुकुशिमा में था. जापान में इसके साइड इफेक्ट के तहत लाखों घरों की बिजली गुल हुई.
नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश (Earthquake in Himachal Pradesh) में रविवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.2 मापी गई है. वहीं इस भूकंप का एपीसेंटर बिलासपुर (Bilaspur) बताया गया है. इससे पहले दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR), जम्मू-कश्मीर (J&K), उत्तराखंड, हिमाचल और पंजाब समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए.
ऐसे में बीते 72 घंटों में तीन बार इतनी तेज धरती हिली कि लोग दहल गए. दुनियाभर में तीन दिनों के भीतर भूकंप के तीन तेज झटकों के बाद किसी संभावित बड़ी अनहोनी के कयास लग रहे हैं. बीते शुक्रवार को दिल्ली ( Earthquake in Delhi) में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. उसका केंद्र तजाकिस्तान (Tajikistan) में था. शनिवार रात को जापान के फुकुशिमा में रिक्टर पैमाने पर 7 से भी अधिक तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया.
इसी तरह न्यूजीलैंड (Earthquake in New Zealand) में 11 फरवरी को रिक्टर स्केल पर 7.7 की तीव्रता का भूकंप आया था. इसके बाद देश में सुनामी (Tsunami) का अलर्ट जारी हुआ था. इस भूकंप का एपिसेंटर
लॉयल्टी द्वीप समूह से 10 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व की गहराई पर केंद्रित था. इस भूकंप का असर पड़ोसी देश ऑस्ट्रेलिया पर भी पड़ा जिसके तटीय हिस्सों में सूनामी आने की चेतावनी जारी की गई थी.
गौरतलब है कि भूकंप कब और कितनी तीव्रता का होगा इसे लेकर पुख्ता अनुमान लगाना फिलहाल संभव नहीं है. इसलिए वरिष्ठ भूवैज्ञानिकों ने एक बार फिर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एक उचित आपदा प्रबंधन रणनीति बनाने पर जोर दिया है.
उत्तर भारत में दहशत
वहीं न्यूजीलैंड में आए भूकंप के अगले दिन उत्तर भारत के कई हिस्सों में 6.3 तीव्रता के भूकंप का झटका महसूस किया गया. जिसका एपिसेंटर तजाकिस्तान (Tajikistan) में था. वहीं राष्ट्रीय राजधानी में तो 30 सेकंड से अधिक समय तक भूकंप के झटके महसूस किए गए.
ये भी पढ़ें- उत्तराखंड आपदा: सुरंग के बाहर 7 दिन से अपने बच्चों की बाट जोह रही 'मां'
बड़ी अनहोनी का संकेत!
अब जैसे-जैसे दुनिया के अलग अलग हिस्सों में भूकंप के तेज झटके आए. इसके बाद एक बार फिर प्राकृतिक आपदा को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है. कुछ लोगों को अब आगे किसी बड़ी अनहोनी घटने का डर सता रहा है. लोग कह रहे हैं कि क्या यह सब किसी तूफान से पहले की खामोशी जैसा है? जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में भूविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. सौमित्र मुखर्जी ने कहा कि भूकंप आने से पहले धरती में परिवर्तन होते हैं, जिनका आकलन करना संभव है.
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणामस्वरूप भूकंप आता है. यह ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर, भूकंपी तरंगें उत्पन्न करती है, जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित करके प्रकट होती है. भूकंप प्राकृतिक घटना या मानवजनित कारणों से भी आ सकता है. अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों की वजह से आते हैं. भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परीक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं.
जानकारों की राय
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के सेंटर फॉर सेमियोलॉजी एंड अर्थक्वेक रिस्क इवैल्यूएशन सेंटर के पूर्व प्रमुख एके शुक्ला ने कहा, ' भूकंप की एकदम सटीक भविष्यवाणी करने के लिए कोई तकनीक नहीं है इसलिए हाल ही में आए झटकों को एक चेतावनी की तरह लेना चाहिए. हमें ऐसी पुख्ता योजना की आवश्यकता है जो किसी भी बड़ी अनहोनी यानी ज्यादा तीव्रता के झटकों का सामना कर सके.' उन्होंने ये भी कहा कि जब भी हिमालय क्षेत्र में भूकंप आता है तो दिल्ली में भी उसका असर महसूस होता है.
LIVE TV