उत्तराखंड के चमोली में पिछले हफ्ते अचानक आई बाढ़ में करीब 200 लोग लापता हुए हैं, जिनकी तलाश के लिए 7 दिन बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इसी बीच बचाव कर्मियों ने सूचना दी है कि एक 'मां' बाढ़ के बाद लापता हुए अपने बच्चों के वापस मिलने की आशा में वहां बिना कुछ खाए खड़ी हुई है.
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चमोली: कहते हैं ना कि मां, मां होती है. मां मनुष्य की हो या जानवर की, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. वह अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती है. कुछ ऐसा नजारा उत्तराखंड के चमोली जिले में देखने को मिल रहा है, जहां ऋषि गंगा-अलकनंदा में आई बाढ़ के बाद लापता हुए अपने बच्चों की तलाश में पिछले 7 दिन से एक कुतिया इंतजार कर रही है. वो इस आशा से बचावकर्मियों के पास बनी हुई है कि शायद उसके बच्चे भी बचा लिए जाएं.
गौरतलब है कि उत्तराखंड (Uttarakhand) में आई बाढ़ के एक हफ्ते बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) जारी है. सुरंग में फंसे लोगों को सुरक्षित बचाए जाने की आशा में इंतजार कर रहे लोगों के लिए घंटे, दिन में और अब दिन सप्ताह में बदल गए हैं. आपदा में पूरी तरह बर्बाद हुए दो हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स में फंसे अपने परिजनों के इंतजार में ग्रामीण और रिश्तेदार वहां इंतजार कर रहे हैं. इन इंतजार करने वालों में भूरे रंग की एक अनाम कुतिया भी शामिल है. यह मां भी अपने बच्चों का इंतजार कर रही है.
अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 200 से ज्यादा लोग लापता हैं, 38 शव बरामद हुए हैं और दो लोगों को सुरक्षित बचाया गया है. रविवार की सुबह भी 5 शव बरामद हुए. इनमें से चमोली जिले के रैंणी गांव से और 3 शव NTPC के तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के मलबे से भरी सुरंग से बरामद किए गए. इस सुरंग में पिछले एक सप्ताह से करीब 30 लोग फंसे हुए हैं.
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राहत कर्मियों का कहना है कि आपदा वाले दिन से ही यह कुतिया रैंणी गांव में ऋषि गंगा पॉवर प्रोजेक्ट के पास इंतजार कर रही है. गांववालों ने बताया कि कुतिया के तीन-चार बच्चे थे जो 7 फरवरी को ऊपर से अचानक आए पानी के साथ ही बह गए. अपने बच्चों के इंतजार में वह आसपास के क्षेत्रों को सूंघ रही है और वहां राहत कार्य में जुटे विभिन्न एजेंसियों के लोगों की बाट जोह रही है.
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शायद उसे आशा है कि बचाव दल उसके बच्चों को भी बाहर निकालेगा. गांव के लोगों ने बचाव दल को बताया कि इस कुतिया ने कई दिन से कुछ नहीं खाया है. उन्होंने कई बार उसे भोजन देने की कोशिश की, लेकिन वह मुंह फेर लेती है. आपदा वाले दिन से वह दिन-रात सिर्फ रो रही है, कराह रही है.