Death of Vultures in Maharashtra: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में मौजूद ‘ताडोबा अंधारी बाघ सेंक्चुरी’ (टीएटीआर) में तीन ऐसे गिद्धों की लाश मिली है जो लुप्त होने की कगार पर हैं. अधिकारियों ने बताया कि इन गिद्धों को इस साल की शुरुआत में एक संरक्षण परियोजना के तहत राजस्थान से यहां लाया गया था. सेंक्चुरी के एक सीनियर अफसर ने बताया कि टीएटीआर के अहम इलाके जेरी में बुधवार शाम को ये गिद्ध मृत पाए गए थे. उन्होंने कहा कि ऐसा संदेह है कि वायरल की वजह से गिद्धों की मौत हुई.


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उन्होंने बताया कि ये तीन गिद्ध उन 10 गिद्धों में थे जिन्हें पूर्व वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की तरफ शुरू की गई ‘जटायु संरक्षण परियोजना' के तहत इस साल जनवरी में राजस्थान से टीएटीआर में लाया गया था. उन्होंने बताया कि इन 10 सफेद पीठ वाले गिद्धों को शुरुआती तीन महीने तक निगरानी में रखा गया था. बाद में सरकार से इजाजत मिलने के बाद उन्हें टीएटीआर के जेरी इलाके में छोड़ दिया गया था. 


मौत का क्या है कारण


अधिकारी ने बताया कि जेरी क्षेत्र में ये गिद्ध मृत पाए गए. उनकी लाशों को पोस्टमार्टम के लिए नागपुर के सरकारी पशु चिकित्सालय ले जाया गया है. उन्होंने बताया,'ऐसा लग रहा है कि गिद्धों की मौत वायरल की वजह से हुई है लेकिन उनकी मौत के सही कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही चल सकेगा.'


एक साल में सिर्फ एक ही अंडा देता है गिद्ध


एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गिद्धों की लगभग 9 प्रजातियां थीं, हालांकि इनमें से ज्यादातर विलुप्त होने की कगार पर हैं. इसके अलावा इनकी प्रजनन दर भी बहुत धीमी होती जा रही है. गिद्ध जब 5 साल की उम्र पार कर लेता है तो उनमें प्रजनन की क्षमता पैदा होती है. दूसरा यह कि ये साल में सिर्फ एक ही अंडा देते हैं. 


2022 में हाई कोर्ट ने दिया था सख्त फैसला


एक रिपोर्ट के मुताबिक 1990 की दहाई के बाद गिद्ध तेजी के साथ विलुप्त हो रहे हैं. कहा जाता है कि शायद धरती से किसी भी जीवधारी की प्रजाति इतनी तेजी से विलुप्त नहीं हुई है. साल 2022 में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) आदेश दिया था कि उन दवाइयों को गैरकानूनी घोषित किया जाए जो गिद्धों की हिफाजत के लिए नुकसानदायक बनी हुई हैं. 


(इनपुट-भाषा)