लेह: लद्दाख (Ladakh) में पैंगोंग झील (Pangong Lake) के दक्षिणी तट पर एक सैन्य अभियान (Military operations) के दौरान शहीद हुए स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (Special frontier force) के अधिकारी सूबेदार नइमा तेनजिन (Officer Subedar Naima Tenzin) का सोमवार को लेह (Leh) में पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.


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तिब्बती समुदाय (Tibetan Community) से संबंध रखने वाले तेनजिन पिछले सप्ताह पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर भारतीय सेना (Indian Army) की उस टुकड़ी में शामिल थे, जिसने चीनी सेना (Chinese army) की यथास्थिति बदलने के मंसूबों पर पानी फेर दिया था.


भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों की घुसपैठ को रोकने के लिए भारतीय सेना ने एक ऑपरेशन को अंजाम दिया था, जिसमें तेनजिन शामिल थे. उन्होंने देश की सीमा की रक्षा करते हुए अपनी जान न्यौछावर कर दी.


लद्दाख की राजधानी लेह के करीब चोगलामसर की तिब्बती बस्ती में जिस समय सेना का ट्रक तेनजिन के घर से उनका पार्थिव शरीर लेकर निकला, उसी समय लोग उनके प्रति सम्मान प्रकट करने और उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए अपने घरों से निकल पड़े.


लोग अपनी मोटरसाइकिल और अन्य वाहनों पर सवार होकर अंतिम संस्कार के जुलूस में शामिल हुए. कई लोग के हाथों में तिरंगा देखा गया, वहीं कुछ लोग तिब्बती झंडे को लहराते हुए ट्रक के साथ-साथ चलते दिखाई दिए.


अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के दौरान लोग भारत माता की जय, जय तिब्बत और विकास रेजिमेंट जिंदाबाद के नारे लगाते नजर आए.


लोगों के हाथों में ऐसे पोस्टर्स देखे गए, जिनमें भारत और तिब्बत के लिए उनका साझा प्यार दिखाई दे रहा था. एक पोस्टर पर लिखा था, "वह तिब्बत के प्यार के लिए जीया और भारत के प्यार के लिए शहीद हो गया."


युवाओं ने कहा कि वह सिर्फ तिब्बतियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए एक नायक थे. इस मौके पर शामिल हुए तिब्बतियों ने अपने समुदाय के झंडे के साथ तिरंगा लेकर भारत के साथ एकजुटता का अद्भुत संदेश दिया.


ताबूत को तिरंगे और तिब्बती झंडे दोनों में लपेटा गया था. शहीद हुए सैनिक को एक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और सेना एवं नागरिक प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.


जब अंतिम संस्कार किया गया तो स्थानीय लोगों ने राष्ट्रगान और तिब्बती राष्ट्रवादी गीत गाना शुरू कर दिया.


कार्रवाई में शहीद सैनिकों के लिए प्रोटोकॉल के तौर पर भारतीय सेना के जवानों ने दोनों झंडों को मोड़ दिया और उन्हें तेनजिन की पत्नी को सौंप दिया.


एसएफएफ में तेनजिन ने 33 साल तक देश की सेवा की. वह अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए हैं.


एक छात्र तेनजिन यांगकी ने कहा कि यह पहली बार है, जब किसी तिब्बती के बलिदान को पूरे भारत में जाना गया. यांगकी ने कहा कि वे अंतिम संस्कार के लिए एक ऐसे व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने आए हैं, जिसने भारत के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया. उन्होंने कहा, "हम सभी को उन पर गर्व है."


ऑपरेशन के दौरान, एक अन्य सैनिक तेनजिन लोडेन (24) गंभीर रूप से घायल हो गए थे. वर्तमान में लद्दाख के सैन्य अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.


भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चार महीनों से आमने-सामने हैं. कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है.


(इनपुट: एजेंसी IANS)