Supreme Court On EVM: सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम पर पाबंदी लगाने और बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा कि जब आप जीतते हैं तो ईवीएम ठीक रहती है और जब हार जाते हैं तो ईवाएम खराब हो जाती है.
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Supreme Court on EVM: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज करते हुए कहा,'जब आप हारते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ की जाती है; जब आप जीतते हैं तो ईवीएम ठीक रहती है.' PIL में चुनाव आयोग को ईवीएम की जगह पर बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी. वराले की बेंच ने ईवीएम में कथित हेरफेर की वजह से बैलेट सिस्टम पर लौटने की अपील को खारिज कर दिया. इससे पहले मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर के जरिए लोकसभा चुनाव कराने के निर्देश देने की मांग वाली इसी तरह की PIL पर गौर करने से इनकार कर दिया था.
याचिकाकर्ता ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और उनके पूर्ववर्ती जगन मोहन रेड्डी के ज़रिए ईवीएम पर दिए गए बयानों का हवाला दिया, तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा,'जब आप हारते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ की जाती है; जब आप जीतते हैं तो ईवीएम ठीक रहती है.' उन्होंने कहा,'जब चंद्रबाबू नायडू या श्री रेड्डी हारते हैं, तो वे कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है; जब वे जीतते हैं, तो वे कुछ नहीं कहते, हम इसे खारिज कर रहे हैं. यह वह जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस करें.'
अपनी याचिका में याचिकाकर्ता नंदिनी शर्मा ने कहा,'ईवीएम के बारे में अपोजीशन पार्टियों की चिंताओं को सबसे पहले बैलेट पेपर के ज़रिए चुनाव कराकर दूर किया जाना चाहिए, न कि सत्तारूढ़ भाजपा की मर्जी के मुताबिक काम करना चाहिए.' नंदिनी शर्मा ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 61A को रद्द करने की मांग की, जो ईसीआई को ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराने का अधिकार देती है. जनहित याचिका में कहा गया था,'ईवीएम के प्रति सत्तारूढ़ दल का अतिरिक्त प्यार और समर्थन ईवीएम मशीनों की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करता है, क्योंकि चुनाव नतीजे ईवीएम या बैलेट पेपर से अलग होने के बावजूद एक ही रहने चाहिए.'
इस साल अप्रैल में, वोटर-वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों के साथ डाले गए वोटों की अनिवार्य क्रॉस-चैकिंग करने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईवीएम पर बार-बार और लगातार संदेह जताना, यहां तक कि बिना किसी सबूत के भी, अविश्वास पैदा करने का गलत असर सकता है और चुनावों में नागरिकों की हिस्सेदारी और यकीन को कम कर सकता है. अपने फैसले में जस्टिस संजीव खन्ना (वर्तमान CJI) ने कहा,'यह संदेह कि ईवीएम को किसी विशेष उम्मीदवार के पक्ष में वोट की बार-बार या गलत रिकॉर्डिंग के लिए कॉन्फ़िगर या हेरफेर किया जा सकता है, खारिज किया जाना चाहिए.'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह मतदाताओं के इस मौलिक अधिकार को कबूल करता है कि उनका वोट सही तरीके से दर्ज किया जाए और उसकी गिनती की जाए, लेकिन इसे वीवीपैट पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती के हक या वीवीपैट पर्चियों तक फिजिकल पहुंच के हक के बराबर नहीं माना जा सकता, जिसे वोटर को ड्रॉप बॉक्स में डालने की इजाजत होनी चाहिए. इसने कहा कि वोटरों को वीवीपैट पर्चियों तक फिजिकल पहुंच देना 'समस्याग्रस्त और अव्यावहारिक' है. साथ ही इसके गलत इस्तेमाल के बाद और विवाद पैदा होंगे.
(इनपुट-आईएएनएस)