Tirupati Laddu Vivad: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होने की बात सामने आने के बाद पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. इस घटना के बाद शुद्धता से भरोसा उठ गया है, क्यों  प्रसाद के नाम पर महापाप किया जा रहा था. इस घटना पर ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने भी प्रतिक्रिया दी है और कहा कि मंदिर के प्रसाद में गोमांस की चर्बी का होना बेहद घृणित है. वहीं, इसका असर पूरे भारत के अन्य मंदिरों पर भी पड़ा है और प्रसाद बनाने में अधिक सतर्कता बरती जा रही है. इसके साथ ही तिरुपति लड्डू विवाद पर चंद्रबाबू नायडू सरकार भी एक्शन में आ गई हैं और जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है.


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तिरुपति लड्डू विवाद पर क्या बोले सद्गुरु?


ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने कहा, 'मंदिर के प्रसाद में गाय की चर्बी होना घृणित है. यही कारण है कि मंदिरों को भक्तों द्वारा चलाया जाना चाहिए, न कि सरकार द्वारा. जहां भक्ति नहीं है, वहां पवित्रता नहीं होगी. समय आ गया है कि हिंदू मंदिरों को सरकार द्वारा नहीं, बल्कि धर्मनिष्ठ हिंदुओं द्वारा संचाल‍ित क‍िया जाए.'


इस घटना के बाद अब देशभर के मंदिर सतर्के


तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल की बात सामने आने का असर पूरे भारत के अन्य मंदिरों पर भी पड़ा है. देशभर के मंदिरों में इस घटना के बाद प्रसाद बनाने में बेहद सतर्कता बरती जा रही है. वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में अधिकारी अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं. प्रशासन ने मंदिर में बनाए जाने वाले लड्डुओं की शुद्धता की जांच शुरू कर दी है. वाराणसी के एसडीएम (सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट) शंभू शरण सिंह ने खुद लड्डुओं को चखा और प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित जांच करने का आदेश दिया.


मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का एक्शन


आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर (Tirupati Mandir) के लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलने के आरोपों की जांच के लिए एक एसआईटी (SIT) का गठन किया गया है. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandra Babu Naidu) ने घोषणा की है कि SIT मामले की पूरी जांच कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.


कैसे पता चला कि लड्डू में मिलाया जा रहा चर्बी वाला घी


जब भी आप किसी मंदिर में जाते हैं और प्रसाद खाते हैं, तो आप उसकी शुद्धता के बारे में सोचते होंगे. देश भर के लाखों हिंदू खुद से यही सवाल पूछ रहे हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर में हुई चौंकाने वाली घटना कैसे सामने आई. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी म‍िली है. यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ, जब प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों से लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशुओं की चर्बी म‍िले होने की पुष्टि हुई.


विवाद तब शुरू हुआ, जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) की एक रिपोर्ट के आधार पर चिंता जताई. इसमें कहा गया था कि मंदिर में इस्तेमाल किया जाने वाला घी शुद्ध नहीं है. जांच में पुष्टि हुई कि घी आपूर्तिकर्ताओं में से एक, एआर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड ने मंदिर को आपूर्ति किए जाने वाले घी में पशुओं की चर्बी मिलाई थी.


मंदिर को घी सप्लाई करने वाले निर्माता जब बाजार भाव से काफी कम दाम पर घी सप्लाई कर रहे थे, तब मंदिर संगठन से जुड़े लोगों को शक होने लगा. ऐसे में घी की गुणवत्ता की जांच कराने की मांग उठने लगी. संदेह गहराने पर मंद‍िर को घी की आपूर्ति‍ करने वाली सभी डेयरियों के घी की जांच कराई गई. बता दें कि प्रीमियर एग्री फूड्स, कृपाराम डेयरी, वैष्णवी, श्री पराग मिल्क और एआर डेयरी फूड तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी सप्लाई करते थे.


300 सालों से तिरुपति मंदिर में भक्तों को दिया जा रहा प्रसाद


आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है. पिछले 300 सालों से मंदिर में आने वाले हिंदू भक्तों को खास 'लड्डू' प्रसाद के रूप में दिया जा रहा है और इस लड्डू को साल 2014 में जीआई टैग भी मिल चुका है. इसका मतलब है कि तिरुपति तिरुमला के नाम का यह लड्डू सिर्फ आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में ही मिल सकता है. इस मंदिर को तिरुमला मंदिर, तिरुपति मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है. यह मंदिर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा चलाया जाता है, जो आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस)