कहां है वो लैब जिसकी रिपोर्ट पर देश करता है भरोसा, तिरुपति वाले प्रसाद के लड्डू में चर्बी वाले घी का खुलासा यहीं हुआ
Animal Fat in Tirupati Laddu Update: तिरुपति के प्रसाद में चर्बी वाले तेल, का मास्टरमाइंड आखिर कौन है? ये किसका गंदा खेल है जिसके जरिए करोड़ों हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाने हुए उनका धर्म भ्रष्ट करने की साजिश रची गई. तिरुपति लड्डू विवाद (Tirupati Laddu Vivad) की सच्चाई का खुलासा कैसे और कहां हुआ आइए बताते हैं.
TTD Prasad: तिरुपति लड्डू विवाद (Tirupati Laddu Vivad) को लेकर वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) को कटघरे में खड़ा करने वाले TDP के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कड़ा एक्शन लेने की बात कही है. YSRCP पर लगे आरोपों के बाद न सिर्फ आंध्रप्रदेश बल्कि पूरा देश गुस्से में है. उन्होंने कहा, 'जगन सरकार ने तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद बनाने के लिए सस्ता और मिलावटी घी खरीदकर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) की पवित्रता भंग की.' इसके बाद पूरे देश का ध्यान उस लैब की ओर गया, जहां प्रसाद के लड्डू का सैंपल फेल हुआ था. ऐसे में आइए आपको बताते हैं, उस लैब की कहानी जो सरकारी मानकों पर उतनी ही खरी मानी जाती है, जितनी कि हमारी-आपकी खून की जांच के नतीजे (NABL) और एनएबीएच (NABH) के मानकों पर खरा उतरकर सही इलाज के काम आते हैं.
देश में खाने पीने की चीजों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए कड़े सुरक्षा मानक हैं. FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) के स्टैंडर्ड्स से लेकर लैब हैं. जहां लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए खाद्ध और रसद विभाग की टीमें सैंपल लेकर जांच के लिए भेजती हैं. मिलावट को लेकर जब कोई बड़ा मामला फंसता है, तो अक्सर इसी NDDB CALF लेबोरेटरी में भेजा जाता है. जिसके कड़े मानकों पर टेस्टिंग से आई रिपोर्ट पर पूरा देश भरोसा करता है.
NDDB CALF में दूध, घी, मक्खन, पनीर, फल-फ्रूट, सब्जी से लेकर हर खाने पानी वाली चीज की प्रमाणिक टेस्टिंग होती है. देश के जिस सबसे अमीर तिरुपति मंदिर में बनने वाला प्रसाद का लड्डू भी इसी लैब की जांच के दौरान गुणवत्ता में फेल हुआ और वाईएसआर कांग्रेस की पहले की सरकार में करोड़ों हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ होने की बात पता चली.
कहां है ये NDDB CALF लैब और कैसे करती है जांच?
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने अपनी सभी सहकारी और दूध उत्पादन संस्थाओं को ध्यान में रखते हुए CALF लैब की स्थापना 2009 में गुजरात के आणंद में की थी. इसका नामकरण भी सोच समझकर (CALF) किय गया था. CALF का हिंदी अर्थ बछड़ा होता है. जैसे बछड़े की देखभाल गाय करती है, वैसे लोगों की सेहत की देखभाल, ये लैब करती है. डेयरी प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता जांच का काम CALF लैब में होता है. यहां दूध, घी, पनीर, मिठाई, के अलावा फल-सब्जियों और पशु आहार की भी जांच होती है. यहां पर आनुवंशिकी से जुड़े विश्लेषण किए जाते है. यहां करीब 100 लोगों का स्टाफ है.
यहां के टॉप 40 एनालिस्ट, टेस्टिंग के लिए आने वाले सैंपलों की जांच और उसका विश्लेषण करते हैं. शुरुआत में यहां सिर्फ दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स की जांच और रिसर्च होती थी. आगे यहां संसाधन बढ़े तो और हाईटेक मशीने आईं तो फल, सब्जियों, वसा, तेल, शहद, नमक, चीनी और पानी तक की जांच होने लगी. यहां कीटनाशक, एंटीबायोटिक्स समेत कई चीजों का विश्लेषण होता है.
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पशुओं की नस्ल सुधारने के लिए NDDB के वैज्ञानिकों ने पशुधन के सीमेन की टेस्टिंग करने के अलावा आनुवंशिक परीक्षण के लिए सुविधाएं बढ़ाईं. CALF ने 2021 में प्रोफिसिएन्सी टेस्टिंग शुरू की. यहां दूध में फैट की शुद्धता, डेयरी प्रोडक्ट्स में डाइऑक्सिन एनलिसिस के लिए देश की पहली अनूठी सुविधा स्थापित की है.
लड्डू विवाद पर बवाल
तिरुपति प्रसादम यानी लड्डू विवाद से सबक लेते हुए कर्नाटक सरकार ने सर्कुलर जारी कर हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के तहत आने वाले मंदिरों को निर्देश दिया है कि वो प्रसाद की गुणवत्ता बनाए रखें. मंदिरों को केवल ‘कर्नाटक मिल्क फेडरेशन’ के नंदिनी ब्रांड घी का ही इस्तेमाल करने को कहा गया है.