ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और सूर्य के रहस्यों का पता लगाने के लिए आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के बाद गगनयान मिशन के लिए तैयारी पूरी कर ली है. गगनयान मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा टीवी-डी1 परीक्षण प्लेटफॉर्म है, जिसका उपयोग क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) की दक्षता का परीक्षण करने के लिए किया जाएगा. यह प्रणाली अंतरिक्ष यात्रियों को किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष यान से बाहर निकालने में मदद करेगी. टीवी-डी1 परीक्षण प्लेटफॉर्म को 21 अक्टूबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा.


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गगनयान मिशन की प्रक्रिया का हिस्सा
दरअसल, यह परीक्षण गगनयान मिशन की प्रक्रिया का हिस्सा है. यह परीक्षण अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए सीईएस की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए महत्वपूर्ण है. यह परीक्षण लॉन्च विफलताओं और आपातकालीन परिदृश्यों सहित विभिन्न स्थितियों में सिस्टम की प्रदर्शन क्षमता को मापेगा. गगनयान मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा टीवी-डी1 परीक्षण प्लेटफॉर्म है, जो क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) की दक्षता का परीक्षण करेगा. सीईएस एक आपातकालीन प्रणाली है जो अंतरिक्ष यात्रियों को यान के खराब होने या दुर्घटना की स्थिति में सुरक्षित स्थान पर ले जा सकती है.


परीक्षण अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए
बताया जा रहा है कि इसरो का मानना है कि यह परीक्षण अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीईएस की क्षमता का मूल्यांकन करने में महत्वपूर्ण होगा. यह लॉन्च आपातकालीन स्थिति में कई चुनौतियों का परीक्षण करेगा. मालूम हो कई गगनयान कार्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे. इस मिशन को सफल बनाने के लिए, इसरो चार आपातकालीन बचाव परीक्षण लॉन्च कर रहा है. इन परीक्षणों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष यात्रियों को किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित बचाया जा सके.


परीक्षण जिसका नाम टीवी-डी1
फिलहाल पहला परीक्षण जिसका नाम टीवी-डी1 है, 21 अक्टूबर को सुबह 8 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा. इस परीक्षण में, एक बिना किसी अंतरिक्ष यात्री के एक छोटा वाहन अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इस वाहन में एक आपातकालीन बचाव प्रणाली होगी जो किसी भी आपात स्थिति में इसे सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस ले आएगी.


अंतरिक्ष में एक रोबोटिक उपकरण
टीवी-डी1 के बाद, बाद में परीक्षण उड़ानें होंगी. इनमें टीवी-डी2, एक मानव रहित मिशन जो अंतरिक्ष में एक रोबोटिक उपकरण ले जाएगा, और मिशन डी3 और डी4, जो दोनों मानव रहित होंगे, शामिल हैं. अंतिम परीक्षण, LVM3 G2, एक मानव रहित मिशन होगा जो अंतरिक्ष में एक रोबोटिक उपकरण ले जाएगा. इस मिशन में, एक आपातकालीन बचाव प्रणाली का परीक्षण किया जाएगा जो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष स्टेशन से सुरक्षित रूप से वापस ले आएगी.



मिशन की सफलता के लिए आवश्यक
इसरो के अनुसार, ये परीक्षण गगनयान मिशन की सफलता के लिए आवश्यक हैं. वे यह सुनिश्चित करने में मदद करेंगे कि अंतरिक्ष यात्रियों को किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित बचाया जा सके. यह परीक्षण यह देखने के लिए किया जाता है कि अगर किसी मिशन की शुरुआत में कोई समस्या आती है तो क्रू मॉड्यूल (यानी अंतरिक्ष यान का वह हिस्सा जिसमें अंतरिक्ष यात्री होते हैं) कैसे सुरक्षित रूप से वापस आ सकता है. इस परीक्षण में, क्रू मॉड्यूल को जल्दी से अंतरिक्ष यान से अलग किया जाता है और फिर पैराशूट और मंदी तंत्र का उपयोग करके सुरक्षित रूप से धरती पर लाया जाता है. मतलब साफ है कि यह परीक्षण यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि अंतरिक्ष यात्री किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित रहें.


बता दें कि 2040 तक भारत ने इंसान को चांद पर भेजने का लक्ष्य बनाया है. पीएम मोदी ने इसके लिए इसरो की एक बैठक में हिस्सा भी लिया और गगनयान मिशन की समीक्षा बैठक की है. पीएम मोदी ने साल 2035 तक अंतरिक्ष में भारतीय केन्द्र स्थापित करने पर जोर दिया तो वहीं दूसरी तरफ इसरो के साइंटिस्ट की तरफ से ये बताया गया कि शुक्र पर मिशन भेजने और मंगल पर लैंडर उतारने की दिशा में काम किया जाएगा. फिलहाल गगनयान मिशन से जुड़े टीवी-डी1 टेस्ट को 21 अक्टूबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा.