Twitter vs Modi Govt: Twitter और सरकार में फिर ठनी! अब कर्नाटक HC का खटखटाया दरवाजा
Twitter vs Modi Govt: Twitter के अधिकारियों ने सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इससे सरकार और अमेरिका स्थित सोशल मीडिया कंपनी के बीच तनाव फिर बढ़ेगा.
Twitter vs Modi Govt: एक बार फिर Twitter और भारत सरकार आमने-सामने हैं. ट्विटर ने कंटेंट को हटाने के भारत सरकार के ऑर्डर को कोर्ट में चुनौती दी है. Twitter के अधिकारियों ने सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इससे सरकार और अमेरिका स्थित सोशल मीडिया कंपनी के बीच तनाव फिर बढ़ेगा.
सरकार से अनबन
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने Twitter से सैकड़ों अकाउंट्स और ट्वीट्स को हटाने के लिए कहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 4 जुलाई तक आदेशों का पालन नहीं करने पर आपराधिक कार्यवाही के मंच को चेतावनी दी थी. इसके लिए Twitter को एक नोटिस 6 जून को और फिर दूसरा 9 जून को भेजा गया था, जिसका कंपनी ने पालन नहीं किया. यह तीसरा नोटिस है, जो कंपनी के मुख्य अनुपालन अधिकारी को 27 जून, सोमवार को भेजा गया था.
2021 में 80 से अधिक ट्वीट्स, अकाउंट्स को हटाने का आदेश
एक डाटाबेस पर अपलोड किए गए डॉक्यूमेंट के अनुसार, IT मंत्रालय ने Twitter से 2021 में लगभग 85 ट्विटर अकाउंट्स और ट्वीट्स को हटाने के लिए कहा, जिनमें किसान कार्यकर्ता, पाकिस्तानी समाचार आउटलेट, पत्रकार और विपक्षी सदस्य शामिल थे.
क्यों हो रही ये कार्यवाही?
ये आदेश सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) के तहत किए गए थे और ज्यादातर का अनुपालन किया गया है. उन तक पहुंचने के प्रयासों को एक संदेश के साथ पूरा किया जाता है जो कहता है कि ट्वीट या अकाउंट्स को 'कानूनी मांग के जवाब में भारत में रोक दिया गया है.'
Twitter ने कही थी ये बात
इसके जवाब में पिछले साल फरवरी में कंपनी ने एक बयान देते हुए कहा था, 'क्योंकि हम यह नहीं मानते हैं कि हमें जो कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है, वह भारतीय कानून के अनुरूप है, और हमारे सिद्धांतों के अनुरूप है. संरक्षित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, हमने उन Accounts पर कोई कार्रवाई नहीं की है जिनमें समाचार मीडिया संस्थाएं, पत्रकार, कार्यकर्ता और राजनेता शामिल हैं. हमारा मानना है कि ऐसा करने से भारतीय कानून के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा.
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