नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर की तरफ से राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों की आज (18 जनवरी) घोषणा की गई. पूरे देश से 21 बच्चों को बहादुरी अवार्ड के लिए सम्मानित किया गया है. इसमें से हिमाचल प्रदेश की दो बच्चियां भी शामिल है. कुल्लू जिले में रखने वाली मुस्कान और सीमा ने अपने साहस के जरिए मनचलों के छक्के छुड़ा दिए. 


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ज़ी मीडिया के साथ खास बातचीत में अपनी दास्तान को बयां किया. उन्होंने बताया कि साल 2017 में स्कूल जाते समय कुछ मनचले दोनों बच्चियों को परेशान करते थे. रोज-रोज सहने के बाद एक दिन दोनों ने मनचलों की अच्छे से धुनाई की और फिर पूरे कुल्लू शहर घुमाते हुए पुलिस थाने तक पहुंचाया,  जिसका असर ये हुआ कि मनचलों ने वहां बैठना छोड़ दिया. इस घटना के बाद से दोनों को काफी सराहना हुई, जिससे उनका साहस बढ़ा. 


मुस्कान और सीमा ने इस बातचीत में सरकार से कुछ मांग भी की. उन्होंने कहा कि गांव से सरकारी बस के लिए बहुत पैदल जाना पड़ता है. इसलिए कई बार रास्तों में मनचलों का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे में अगर बसों की सर्विस को बढ़ाने के साथ बस स्टॉप भी पास में बनाए जाए, तो गांव के हर व्यक्ति को इसका लाभ होगा. 


इन बच्चों को आईसीसीडब्ल्यू सेलेक्ट करता है, जिसे बाद में सरकार 26 जनवरी को सम्मानित करती है. हालांकि, आईसीसीडब्ल्यू के मुताबिक, उनसे सरकार ने कोई संवाद नहीं किया है. हमेशा दस दिन पहले हमसे नाम मांग लिए जाते थे. 


वहीं, ये भी खबर है कि बाल वीरता पुरस्कार के लिए चुने गए 21 बच्चे इस बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल नहीं हो सकेंगे. ऐसा 1957 के बाद पहली बार हो रहा है. इन बच्चों का चयन करने वाली इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोप के बाद यह फैसला लिया गया है.