Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक अजीब स्थिति पैदा हो गई. मामला दिल्ली के रिज एरिया में सैकड़ों पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़ा है. जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व वाली बेंच सुनवाई को बैठी तो पता चला कि मामले पर जस्टिस अभय एस ओका वाली पहले ही सुनवाई कर चुकी है. एक बेंच के सामने लंबित मामले को दूसरी बेंच के सुनने से 'न्यायिक अनुचितता' का आरोप लगा. सुप्रीम कोर्ट की दो बेंच- एक जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में और दूसरी जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता में - रिज की एक सड़क के चौड़ीकरण से जुड़ा मामला सुन रही है.


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सीजेआई के पास भेजा गया मामला


बुधवार को जब जस्टिस गवई को पता लगा कि मामले को जस्टिस ओका पहले ही सुन चुके हैं, तो उन्होंने कहा कि इस मामले में DDA के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही सबसे पहले उनकी पीठ ने ही शुरू की थी और जस्टिस ओका को सुनवाई से पहले सीजेआई से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए था. जस्टिस गवई ने कहा, 'दूसरी पीठ ने न्यायिक औचित्य का पालन नहीं किया है'. उन्होंने अपनी पीठ की कार्यवाही रोक दी और मामले को 'मास्टर ऑफ रोस्टर' यानी चीफ जस्टिस के पास भेज दिया.


दोनों बेंच ने DDA उपाध्यक्ष को जारी किया नोटिस


जस्टिस गवई के नेतृत्व वाली बेंच जंगल से जुड़े मामले सुनती है, जबकि जस्टिस ओका वाली बेंच पर्यावरण से जुड़े मुकदमे. डोमेन के हिसाब से, पेड़ों की कटाई के लिए जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ से अनुमति लेनी पड़ेगी. यह मामला दो बेंच के सामने शायद उनकी ब्रीफ्स के ओवरलैप होने से पहुंच गया.


जस्टिस गवई वाली बेंच ने डीडीए को अदालत की अनुमति के बिना रिज क्षेत्र में किसी को भी भूमि आवंटित करने से रोक दिया था. इस बेंच ने अप्रैल में डीडीए के उपाध्यक्ष को अवमानना नोटिस जारी किया था, जब यह बात उसके संज्ञान में लाई गई थी कि उसके आदेश का उल्लंघन करते हुए सड़क को चौड़ा करने के लिए कुछ भूखंड दे दिए गए थे.


इस दरम्यान, सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई जिसमें बताया गया कि सड़कों को चौड़ा करने के लिए कानून का उल्लंघन कर सैकड़ों पेड़ों को काटा गया. यह मामला जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लिस्ट किया गया. इस बेंच ने भी पेड़ों की अवैध कटाई पर डीडीए उपाध्यक्ष को अवमानना​नोटिस जारी किया.


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'पैरलल सुनवाई ठीक नहीं'


पिछले एक महीने में मामले की सुनवाई काफी आगे बढ़ चुकी है और अदालत ने रिकॉर्ड की जांच के बाद पाया कि सभी संबंधित अधिकारियों की ओर से कानून का उल्लंघन किया गया है. बुधवार को जब मामला जस्टिस गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच के सामने आया तो उन्होंने पाया कि एक अन्य बेंच भी मामले की सुनवाई कर रही थी. इस पर बेंच ने कहा कि इस मामले में समानांतर कार्यवाही करना उचित नहीं है.


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पेड़ों की कटाई का मामला अदालत के संज्ञान में लाने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि यह जस्टिस ओका की पीठ द्वारा अनुचित व्यवहार का मामला नहीं है, क्योंकि अलग-अलग आवेदन दायर किए गए थे. अदालत ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद आदेश पारित करते हुए मामले को सीजेआई को रेफर कर दिया.