UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता बनाने की दिशा में धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं. राज्य की पुष्कर धामी सरकार की ओर से इस मुद्दे पर गठित कमेटी ने अपना काम लगभग पूरा कर लिया है. समिति ने आम लोगों के साथ ही राजनीतिक दलों और आयोगों के अध्यक्षों से भी यूनिफॉर्म सिविल कोड के संबंध में सुझाव मांगे लेकिन कांग्रेस ने इस पूरी कवायद से किनारा कर लिया. माना जा रहा है कि यह कमेटी जून महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को जमा करवा सकती है. 


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बीजेपी ने इन 2 मुद्दों का किया विरोध


सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने कमेटी (Uniform Civil Code) को 2 अहम सुझाव दिए हैं. पहला सुझाव ये है कि समलैंगिकता और लिव इन रिलेशन को किसी भी तरीके से मान्यता नहीं मिलनी चाहिए. पार्टी का कहना है कि ये दोनों ही विषय ऐसे हैं, जो भारतीय संस्कृति परिवेश के मुताबिक नहीं है और समाज की विकृतियां है. लिहाजा इन दोनों विषयों को किसी भी सूरत में मान्यता नहीं मिलनी चाहिए बल्कि इन कुरीतियों को दूर किया जाना चाहिए. 


महिलाओं के हक के लिए उठाई ये मांग


बीजेपी ने दूसरा सुझाव यह दिया है कि महिलाओं को भी पैतृक संपत्ति (Uniform Civil Code) में बराबर का अधिकार मिलना चाहिए. जिससे संपत्ति मामलों में महिला-पुरुष के भेद को दूर किया जा सके. इसके साथ ही प्रत्येक विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किए जाने की मांग भी उठाई गई. वहीं कांग्रेस ने इस कमेटी को कोई भी सुझाव देना गवारा नहीं किया. 


कांग्रेस ने बताई दूरी बनाने की वजह


कांग्रेस के  कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष (संगठन) मथुरादत्त जोशी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी मानसिक रूप से दिवालिया हो गई है. वह उन विषयों (Uniform Civil Code) पर सुझाव मांग रही है, यूसीसी की विषय सूची में ही नहीं है. जिन दोनों ही विषयों को बीजेपी उठा रही है, वे अभी न्यायालय में विचाराधीन है. इसलिए उन पर अभी कोई कानून नहीं बन सकता. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की ओर से कमेटी से कुछ विषयों पर जानकारी मांगी गई थी, जो कि उपलब्ध नहीं कराई गई. इसीलिए कांग्रेस ने समिति को सुझाव नहीं दिए.