Maharashtra Vidhan Sabha Chunav: एक तरफ महाराष्‍ट्र चुनाव में जहां महा विकास अघाड़ी यानी एमवीए (शरद पवार-उद्धव ठाकरे-कांग्रेस) में सीटों को लेकर मारामारी जारी है वहीं उद्धव ठाकरे (यूबीटी) के एक नेता के कारण पार्टी के लिए अजीब स्थिति पैदा हो गई. दरअसल शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार किशनचंद तनवानी ने 2014 के चुनाव जैसी संभावित प्रतिकूल स्थिति का हवाला देते हुए औरंगाबाद मध्य निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया.


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उल्लेखनीय है कि 2014 में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के इम्तियाज जलील ने छत्रपति संभाजीनगर शहर के औरंगाबाद मध्य क्षेत्र से शिवसेना (अविभाजित) के उम्मीदवार प्रदीप जायसवाल को परास्त किया था और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले तनवानी तीसरे स्थान पर रहे थे.


औरंगाबाद सेंट्रल सीट
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने पिछले सप्ताह तनवानी के उम्मीदवारी की घोषणा की थी. तनवानी ने दावा किया कि वह 2019 में इसी तरह की स्थिति के कारण मैदान से हट गए थे और जायसवाल को चुनाव जीतने में मदद की थी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने अपनी चुनावी संभावनाओं के लिए जायसवाल से मदद मांगी लेकिन वह आगे नहीं आए. मैंने उद्धव ठाकरे से बात नहीं की है. मैं उनसे बात करूंगा और उनके निर्देशों के अनुसार काम करूंगा. मेरा एबी (प्राधिकार) फॉर्म शिवसेना नेता अंबादास दानवे के पास है.’’


सोमवार शाम को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि पार्टी की नगर इकाई के प्रमुख बालासाहेब थोराट औरंगाबाद मध्य से उम्मीदवार होंगे. दानवे ने कहा, ‘‘शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के आदेश के अनुसार, तनवानी को जिला अध्यक्ष के पद से मुक्त कर दिया गया है.’’


असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नसीर सिद्दीकी की उम्मीदवारी की घोषणा की है, जिन्हें 2019 में औरंगाबाद मध्य सीट से जायसवाल ने हराया था.


(इनपुट: एजेंसी भाषा)