ई-फार्मेसी कंपनियों पर लगेगा ताला! केंद्र सरकार ने कर ली तैयारी, जानें क्यों ये कदम उठाने पर मजबूर हुई सरकार
E-pharmacies under radar Union Health Ministry: DCGI द्वारा 8 फरवरी को ऑनलाइन फार्मेसी और ऑनलाइन प्लेटफार्म्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था जिसमें उन्हें दो दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा था. ऐसा नहीं करने की स्थिति में उन्हें देश में दवाओं की बिक्री और वितरण पर बिना किसी नोटिस के कड़ी कार्रवाई का सामना करने के लिए कहा गया था.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ई-फार्मेसी (E- Pharmacies) कंपनियों की मनमानी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है. इस कार्रवाई के तहत कई ई-फार्मेसी प्लेटफॉर्म पर केंद्र सरकार ताला भी लगा सकती है. आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि ई-फार्मेसी द्वारा दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) कड़ी कार्रवाई कर सकता है. इसमें कई कंपनियों को को बंद भी किया जा सकता है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, 'वर्तमान में ई-फार्मेसी जिस बिजनेस मॉडल पर चल रहे हैं उससे उन रोगियों को समस्या हो सकती है जो ऑनलाइन दवा ऑर्डर करते हैं, उनके डाटा की गोपनीयता खतरे में है और दवाओं के दुरुपयोग की संभावना है.' भारत के कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इंटरनेट पर दवाइयां बेचने वाली अवैध ई-फार्मेसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
DCGI द्वारा 8 फरवरी को ऑनलाइन फार्मेसी और ऑनलाइन प्लेटफार्म्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था जिसमें उन्हें दो दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा था. ऐसा नहीं करने की स्थिति में उन्हें देश में दवाओं की बिक्री और वितरण पर बिना किसी नोटिस के कड़ी कार्रवाई का सामना करने के लिए कहा गया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ई-फार्मेसी प्लेटफॉर्म्स ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धाराओं का उल्लंघन कर रही हैं.
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने 20 से अधिक ऑनलाइन फार्मेसी और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें कुछ बड़े खिलाड़ी भी शामिल हैं, जैसे Tata1mg, Practo, Apollo, Amazon, Flipkart.
एआईओसीडी द्वारा जारी बयान के मुताबिक, 'ऑल इंडियन ओरिजिन केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (एआईओसीडी) लगातार केंद्र सरकार को चेतावनी दे रहे थे कि ड्रग अधिनियम, फार्मेसी अधिनियम और अन्य दवाओं से संबंधित नियम/आदेश, आचार संहिता, इंटरनेट पर छूट और योजनाओं के साथ दवाओं की विज्ञापन द्वारा बिक्री और दवा के प्रचार की अनुमति नहीं देते हैं, क्योंकि यह जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है.'
एआईओसीडी के मुताबिक, 'कई बार कानूनी अपील, अनुरोध, बैठकों और दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों के बावजूद, कॉर्पोरेट घराने पैसे के दम पर अवैध रूप से इस कारोबार में सक्रिय थे. ये अधिक खतरनाक तब हो गया जब ये ई-फार्मेसी कंपनियों ने दवा की ऑनलाइन बिक्री शुरू कर दी थी. इससे देश में नकली दवाओं में अचानक वृद्धि हो गई है.
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