Allahabad High Court News: कुंवारी बेटियों को भी माता-पिता से गुजारा भत्ता पाने का हक है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ताजा फैसले में यह व्यवस्था दी है. अदालत ने कहा कि बेटी का धर्म या उम्र चाहे जो हो, उसे घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) के तहत मेंटेनेंस का अधिकार है. कोर्ट ने नइमुल्‍ला शेख और अन्य की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी. उन्होंने तीन बेटियों को मेंटेनेंस दिए जाने के आदेश को HC में चुनौती दी थी. तीनों बेटियों ने गुजारा भत्ता पाने के लिए DV एक्ट के तहत दावा ठोका था. बेटियों ने अपने पिता और सौतेली मां पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था. ट्रायल कोर्ट ने अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था जिसे पैरेंट्स ने HC में चैलेंज किया. माता-पिता की दलील थी कि उनकी बेटियां बालिग हैं और वित्तीय रूप से स्वतंत्र हैं.


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कोर्ट ने फैसले में क्या कहा


याचिका खारिज करते हुए जस्टिस ज्योत्सना शर्मा ने कहा, 'इसमें कोई शक नहीं कि बिन ब्याही बेटी, चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, गुजारा भत्ता की हकदार है, उसकी उम्र चाहे जो हो. एक बार फिर यह स्पष्ट किया जाता है कि जब गुजारे भत्ते के अधिकार का सवाल हो तो अदालतों को अन्य कानूनों की ओर भी देखना चाहिए. हालांकि, जहां केवल बात मेंटेनेंस तक सीमित नहीं है, वहां पीड़ितों के लिए घरेलू हिंसा एक्ट की धारा 20 में अधिकार दिए गए हैं.'


खारिज कर दी पैरेंट्स की दलील


अदालत ने याचिकाकर्ताओं की वह दलील खारिज कर दी कि बेटियां बालिग हैं, इसलिए मेंटेनेंस क्लेम नहीं कर सकतीं. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि DV एक्ट का मकसद महिलाओं को और प्रभावी सुरक्षा देना है. मेंटेनेंस का अधिकार अन्य कई कानूनों से भी मिल सकता है, लेकिन जल्दी से गुजारा-भत्ता पाने के तरीके DV एक्ट, 2005 में दिए गए हैं.