UP Temples File: उत्तर प्रदेश के शहरों में बंद पड़े मंदिर मिलने का सिलसिला जारी है. संभल से लेकर मुजफ्फरनगर और लखनऊ तक मुस्लिम बहुल इलाकों में प्राचीन मंदिरों के मिलने का सिलसिला जारी है. संभल में संभलेश्वर मंदिर के मिलने के बाद जो सिलसिला शुरु हुआ वो थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक के बाद एक अलग अलग शहरों में सनातन के साक्ष्य मिलते जा रहे हैं. वाराणसी में सिद्धेश्वर महादेव मंदिर. मुजफ्फरनगर में प्राचीन शिव मंदिर. बुलंदशहर के कोतवाली मोहल्ले में सालों से बंद पड़ा मंदिर . अलीगढ़ में भी प्राचीन शिव मंदिर मिला है. मेरठ में पीपलेश्वर शिव मंदिर. जौनपुर में काली मंदिर.  संभल में बाके बिहारी मंदिर का पता चला. मंदिर के पास मिली सैंकड़ो साल पुरानी बावड़ी और अब एक नया कूप मिला है.


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योगी का 'सनातन महायज्ञ'


पूरे उत्तर प्रदेश में मानो योगी का सनातन महायज्ञ चल रहा है. शहर शहर सनातन धर्म के प्रतीकों को बचाने का अभियान चल रहा है. इस सनातन महायज्ञ का संभल अध्याय पढ़ने से पहले जान लीजिए कौन थे वो लोग जिन्होंने सनातन धर्म से जुड़े मानबिंदुओं को नष्ट करने का काम किया था?


जिन कारणों से देश के गुलाम होना पड़ा था. हमारे पवित्र धर्मस्थलों को अपमानित होना पड़ा था. वो फिर से न हो ऐसी स्थिति पैदा हो. इसके लिए अभी से हर एक भारतवासी को तैयार होना होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि सनातन धर्म का सम्मान करो. सनातन धर्म सुरक्षित है तो दुनिया में सब कुछ सुरक्षित है.


सनातन धर्म को सुरक्षित करने का जो मंत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया. उसी मंत्र के साथ संभल प्रशासन आगे बढ़ा और चंदौसी के बांके बिहारी मंदिर के आसपास साफ सफाई के दौरान 150 साल पुरानी बावड़ी मिली. योगी के सनातन महायज्ञ के संभल अध्याय में सनातन के सबूत की ये सबसे बड़ी खोज साबित हुई.


प्राचीन बावड़ी की खुदाई में पहले यहां चार कमरे मिले. लेकिन जैसे जैसे मिट्टी की परतों को हटाया गया. इतिहास के दबे पन्ने खुलने लगे और चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई. यहां बेसमेंट में नीचे दो मंजिल और है. जिसकी खुदाई चल रही है. जिस बावड़ी को कट्टरपंथियों ने दफ्न कर दिया था उसका इतिहास अब उजागर हो रहा है. ये बावड़ी मुरादाबाद के राजपरिवार के लश्करों के लिए बनाई गई थी, ताकि वो यहां आराम कर सकें. 250 साल पहले राजा कृष्ण कुमार सिंह ने इस बावड़ी का निर्माण करवाया था. ताकि उनकी फौज यहां ठहर सकें. बावड़ी के अंदर बंकरनुमा कमरे इस तरह से डिजाइन किए गए थे कि राजा और उनकी फौज को आराम और सुरक्षा दोनों मिल सके. इन कमरों का स्ट्रक्चर और उनके अंदर मिले प्राचीन चिन्ह साबित करते हैं कि ये कोई साधारण बावड़ी नहीं है.


संभल में इस बावड़ी के अलावा बांके बिहारी मंदिर के जिर्णोद्धार की तैयारी चल रही है. इसके अलावा संभलेश्वर महादेव मंदिर में भी अब भक्तों का तांता लग गया है. इसके अलावा संभल में खुदाई के दौरान एक नया कूप भी मिला है.


कट्टरपंथ की आड़ में संभल तीर्थ नगरी का स्वरूप बदल दिया गया. हिंदुओं को पलायन करने पर मजबूर कर दिया गया. हिंदू आस्था से जुड़े इन स्थलों को कट्टरपंथ की बेड़ियों में बांधकर दफ्न कर दिया गया. लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस सनातन महायज्ञ की जो शुरुआत की है. उसके बाद से हिंदू आस्था के इन प्रतीकों को एक बार फिर उजागर किया जा रहा है.


एक तरफ जहां संभल में एक के बाद एक सनातन के सबूत धरती फाड़ कर निकल रहे हैं तो वहीं योगी सरकार के पूरे प्रदेश में सनातन के पवित्र धामों को संरक्षित करने का अभियान छेड़ दिया है.


यूपी के 40 जिलों में हाल ही में ASI सर्वे करवाया गया.
जिसमें 310 धरोहरों को चिन्हित किया गया है.
धरोहरों में मंदिर, मठ और इमारतें शामिल हैं.
200 से ज्यादा पौराणिक मंदिर मिले हैं. अब इन मंदिरों का जिर्णोद्धार किया जाएगा.


एक तरफ ASI सर्वे के जरिए हिंदू आस्था से जुड़ी जगहों को संरक्षित किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ शहर शहर लोग भी अपने अराध्य की तलाश कर रहे हैं. सालों से बंद पड़े मंदिरों में अब पूजा अर्चना हो रही है.


सबसे पहले मुजफ्फरनगर का जिक्र, जहां 54 साल पुराना शिव मंदिर मिला. मुस्लिम मोहल्ले स्थित ये मंदिर सालों से बंद पड़ा था. जिसके बाद आज मंदिर का शुद्धिकरण किया गया. साथ ही यहां पूजा पाठ और भजन कीर्तन हुआ. गाजियाबाद के मोदीनगर में भी एक प्राचीन शिवलिंग मिला है. बताया जा रहा है कि 150 साल पुराना ये शिवलिंग कब्रिस्तान की बाउंड्री के अंदर स्थित है. इसी वजह से इसकी देखरेख नहीं होती थी. लेकिन कुछ हिंदुवादी संगठनों ने आज शिवलिंग की साफ सफाई की और यहां पूजा अर्चना की गई.


यूपी में बीते एक हफ्ते में 6 शहरों में मंदिर मिले हैं जो सालों से गुमनामी की धूल फांक रहे थे. मंदिरों के मिलने के बाद अब लोग साफ सफाई के बाद पूजा पाठ कर रहे हैं. ये सब योगी के सनातन महायज्ञ का ही परिणाम है कि सालों से बंद पड़े मंदिरों के कपाट खुल रहे हैं. मिट्टी के नीचे दबे मंदिर सामने आ रहे हैं. लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति भी खूब हो रही है. इनपुट: नीरज गौड़