नई दिल्ली: कानपुर में शुक्रवार को पुलिस पर हमला कर 8 जाबांजों को शहीद करने वाला हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तलाश में पुलिस मध्य प्रदेश के बीहड़ों तक पहुंच गई है. सूत्रों के मुताबिक विकास दुबे के बीहड़ में भी छुपे होने की आशंका है. 24 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों को शहीद करने वाला दुर्दांत हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे अब तक फरार है. यूपी पुलिस की 25 से ज्यादा टीम विकास दुबे की तलाश में लगी है. सभी जिलों के स्थानीय पुलिस को भी अलर्ट पर रखा गया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

24 घंटे से ज्यादा वक्त बीत चुके हैं लेकिन कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों को शहीद करने वाला दुर्दांत हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे अब तक फरार है. अपने गुर्गों के साथ आखिर कहां छिपा है विकास दुबे? लेकिन सवाल इससे बड़ा है. जिस तरह योजना बनाकर पुलिस की टीम पर घातक हमला किया गया उसके पीछे अकेले विकास दुबे का हाथ नहीं हो सकता. इसके पीछे बड़ी साजिश है. सवाल ये है कि पुलिस विभाग के अंदर कौन है वो विभीषण जिसने पुलिस के आने की सूचना दी. 


एक और अहम सवाल है जिसका जवाब पुलिस पर हमले की वारदात से पर्दा उठा सकता है. कानपुर के चौबेपुर इलाक़े में शायद उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम पर अब तक का सबसे बड़ा हमला हुआ. ZEE NEWS ने आपको कल सुबह ही बता दिया था कि मुख्य आरोपी और हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने बहुत ही सुनियोजित तरीके से हमला किया ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या यूपी पुलिस के जांबाजों को साजिश के तहत मारा गया? क्या सोच-समझ कर योजना बनाकर हमला किया गया?


ये सवाल क्यों उठ रहा है, इसके पीछे भी ठोस वजह है: 
चौबेपुर के बिकरू गांव में जब पुलिस की टीम हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई तो वो और उसके गुर्गे पहले से ही असलहों के साथ तैयार थे. विनय दुबे ने पुलिस के लिए पहले से ही जाल बिछा रखा था. पुलिस की टीम को रोकने के लिए जेसीबी लगाई गई. इससे पुलिस की गाड़ी आगे नहीं जा पाई. पुलिस फोर्स के गाड़ियों से उतरते ही घर की छतों से गोलियों की बौछार शुरू हो गई.   


इसका मतलब ये हुआ कि पुलिस टीम के आने की सूचना विकास दुबे के गैंग को पहले से थी और पुलिस पर हमले की योजना पहले से बना ली गई थी और मकसद पुलिस से बचना नहीं पुलिस के जवानों को मारना था. चश्मदीदों के मुताबिक बदमाशों ने पुलिस के जवानों को पीछा करके मारा. 


तो सवाल उठता है कि कौन पुलिस पर जानलेवा हमला करवाना चाहता था? पुलिस के आने की सूचना किसने दी ? क्या पुलिस महकमें के अंदर ही कोई घर का भेदी है? क्या पुलिस महकमें के अंदर ही कोई आपसी रंजिश चल रही है?


क्योंकि जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. कानपुर में पुलिस हमले के पीछे चौबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. जांच में पता चला है कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के ख़िलाफ़ धारा 307 के तहत FIR दर्ज करने में एसओ विनय तिवारी आना-कानी कर रहा था. जब पीड़ित राहुल तिवारी ने सीओ देवेंद्र मिश्रा से शिकायत की इसके बाद ही विकास दुबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. यही नहीं सूत्रों के मुताबिक जब पुलिस की टीम विकास दुबे को पकड़ने उसके घर गई तो एसओ विनय तिवारी सबसे पीछे चल रहा था. सूत्रों के मुताबिक एसओ विनय तिवारी पर मुखबिरी का शक है सूत्रों के मुताबिक यूपी एसटीएफ एसओ विनय तिवारी से लगातार पूछताछ कर रही है. 


(इनपुट: तुषार श्रीवास्तव)