UP Politics News: समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी में जल्द ही बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती हैं. दरअसल सपा की कोशिश पिछड़े वर्ग को अपने साथ जोड़ने की है. माना जाता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद भी हार की मुख्य वजह पिछड़े वर्ग के एक बड़े हिस्से का बीजेपी के पाले में चले जाना था.


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सपा अब मौर्य के चेहरे को आगे कर पिछले वर्गे के वोटर्स को लुभाने की कोशिश करेगी. हालांकि यह तय नहीं है कि पार्टी उन्हें कौन सी जिम्मेदारी देगी. वैसे विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद पार्टी द्वारा उन्हें एमएलसी बनाए जाने के बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.


इसलिए उठी है फिर से यह चर्चा?
हालांकि अब यह चर्चा फिर जोरों से उठी है क्योंकि बदायूं से समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) की सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर याचिका वापस ले ली है.


धर्मेंद्र यादव ने शनिवार को बताया कि उन्होंने बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्य के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने के लिए अप्रैल में ही उच्च न्यायालय में शपथ पत्र पेश कर दिया था, जिसे शुक्रवार को अदालत ने स्वीकार कर लिया.


बता दें संघमित्रा मौर्य सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं. वहीं धर्मेंद्र यादव अखिलेश यादव के चचरे भाई हैं.


क्यों गए थे यादव संघमित्रा के खिलाफ उच्च न्यायालय
उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डॉ0 संघमित्रा मौर्य को बदायूं लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया था. वहीं सपा-बसपा के गठबंधन से चुनाव में उस समय के मौजूदा सांसद रहे धर्मेंद्र यादव प्रत्याशी बने थे. दोनों के बीच सीधी टक्कर हुई और चुनाव में धर्मेंद्र यादव लगभग 18 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे. यादव इसी चुनावी परिणाम के खिलाफ उच्च न्यायालय गए और आरोप लगाया कि मतगणना में आठ हजार वोटों की गड़बड़ी की गई है.


दूसरी तरफ ऐसी चर्चाएं भी हैं कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में जान से संघमित्रा मौर्य की स्थिति बीजेपी कमजोर हुई है.



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