UP School Shameful Punishment: शिक्षा की राह में फूल और कांटे दोनों की एक के बाद एक चौंकाने वाली खबर ने देशभर का ध्यान खींचा है. एक ओर जहां, सुप्रीम कोर्ट ने फीस के चलते मुश्किल में फंसे एक गरीब मजदूर के बेटे को आईआईटी में एडमिशन देने का आदेश सुनाया. वहीं, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के एक स्कूल के प्रिंसिपल ने फीस के चलते ही 50 से ज्यादा बच्चों को चिलचिलाती धूप में घंटों तक बाहर बैठाकर उनका वीडियो भी बनाया.


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सुप्रीम कोर्ट ने गरीब स्टूडेंट को दिलाया आईआईटी में एडमिशन


सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी में एडमिशन के लिए समय से 17500 रुपये की फीस नहीं भर पाने वाले गरीब छात्र की ऐसी मदद की जिसकी लंबे समय तक मिसाल दी जाएगी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय बेंच ने विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आईआईटी को उस छात्र को दाखिला देने का निर्देश दिया. 


सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मेधावी छात्र को कहा- ऑल द बेस्ट! 


सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स की सीट पर एडमिशन दिया जाना चाहिए. उस स्टूडेंट के लिए एक अलग सीट बढ़ाई जाए ताकि किसी दूसरे स्टूडेंट के एडमिशन में भी कोई समस्या नहीं आए. बेंच ने साफ कहा कि ऐसे युवा प्रतिभाशाली छात्र को जाने नहीं दे सकते. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उस छात्र को ऑल द बेस्ट भी कहा.


50 से ज्यादा छात्र-छात्राओं को स्कूल के बाहर धूप में बैठाया


दूसरी ओर, अभिभावकों द्वारा फीस न भरने से नाराज यूपी के सिद्धार्थनगर जिले के एक स्कूल के प्रिंसिपल ने 50 से ज्यादा छात्र-छात्राओं को स्कूल के मेन गेट के बाहर चिलचिलाती धूप में बैठा दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने अभिभावकों को चेतावनी देते हुए एक वीडियो भी बनाया कि इस बार तो वे छात्रों को अंदर जाने देंगे, लेकिन जब तक फीस नहीं भर दी जाती, तब तक हर डिफॉल्टर को वापस घर भेज दिया जाएगा.


सिद्धार्थनगर के एक हाई स्कूल का शर्मनाक वीडियो वायरल


सिद्धार्थनगर के इटवा में श्यामराजी हाई स्कूल का वीडियो अब वायरल हो गया है, जिससे सोशल मीडिया पर लोगों में आक्रोश है. घटना को शर्मनाक बताते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने कहा है कि वे जांच करेंगे कि स्कूल पंजीकृत है या नहीं और उसके बाद उचित कार्रवाई करेंगे. दो मिनट के वायरल वीडियो में, स्कूल में पढ़ने वाले लड़के और लड़कियों को स्कूल के गेट की ओर जाने वाले रास्ते पर भीड़ में बैठे देखा जा सकता है. दोनों ओर खेत के बीच अपनी पहचान छुपाने और शर्मिंदा होने से बचने के लिए स्टूडेंट अपना चेहरा छिपा रहे हैं.


वीडियो में छात्रों के अभिभावकों को प्रिंसिपल की चेतावनी


वीडियो में प्रिंसिपल शैलेश कुमार त्रिपाठी को हिंदी में यह कहते हुए सुना जा सकता है, "आप सभी अभिभावकों को चेतावनी दी गई थी कि जब तक फीस जमा न हो जाए, अपने बच्चों को स्कूल न भेजें, लेकिन आप नहीं सुनते. आप उन्हें मुझे परेशान करने के लिए स्कूल भेजते हैं. ये सभी डिफॉल्टर हैं और मैंने आज उन्हें गेट से बाहर रखा है. यह आखिरी बार है... मैं आपको सख्त चेतावनी दे रहा हूं... अगर आपको बुरा लग रहा है तो इसके लिए आप जिम्मेदार हैं, मैं नहीं."


अगर टाइम पर फीस नहीं भरी तो प्रतिदिन 5 रुपये जुर्माना 


प्रिंसिपल ने चेतावनी देते हुए कहा, "बैंक ने मुझ पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है और आप 5 रुपये भी अतिरिक्त फीस नहीं देंगे. मैं यह बोझ नहीं उठा सकता. अगर हर महीने की 15 तारीख तक फीस नहीं भरी तो 5 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा. जो इस नियम का पालन कर सकता है, वह अपने बच्चों को यहां भेज सकता है और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप उन्हें घर पर रख सकते हैं. फीस न भरने से मैं दुखी और चिंतित हूं, मुझ पर दबाव है... मुझे डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया है. बैंक ने कहा है कि मुझे जीवन भर 1 रुपये का लोन भी नहीं मिलेगा. मैं दया करके उन्हें (छात्रों को) आखिरी बार स्कूल में आने दे रहा हूं. अगर वे फीस दिए बिना दोबारा स्कूल आए, तो उन्हें घर भेज दिया जाएगा." 


सालों से फीस नहीं चुकाई, प्रिंसिपल ने बताया अपना पक्ष


लोगों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए जब पत्रकारों ने प्रिंसिपल त्रिपाठी से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि अगर किसी को बुरा लगा तो उन्हें खेद है, लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि स्कूल पर प्रति छात्र 10,000 से लेकर लाखों रुपये तक बकाया है. उन्होंने दावा किया, "मैं छात्रों को धूप में बैठाने का समर्थन नहीं करता. यह वीडियो शूट करने के लिए दो मिनट के लिए किया गया था. हमने कई बार अभिभावकों को याद दिलाया, लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला. ज्यादातर ग्रामीण स्कूलों में यही सच्चाई है. अभिभावक हमें कहते हैं कि वे एक या दो महीने में फीस चुका देंगे, लेकिन कुछ छात्र ऐसे भी हैं, जिनकी फीस चार साल से नहीं चुकाई गई है."


व्हाट्सएप ग्रुप से सोशल मीडिया पर शेयर हुआ वीडियो


प्रिंसिपल ने आगे कहा, "मैंने अभिभावकों के व्हाट्सएप ग्रुप में केवल जानकारी साझा करने के लिए वीडियो डाला था. कुछ अभिभावकों ने इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. अगर किसी को बुरा लगा तो मैं माफी चाहता हूं, लेकिन केवल हम ही जानते हैं कि हमें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मुझे संदेश देना था, मैं शायद सभी अभिभावकों को स्कूल नहीं बुला सकता था."


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सिद्धार्थनगर के स्कूलों के निरीक्षक ने दिए जांच के आदेश


सिद्धार्थनगर के स्कूलों के निरीक्षक ने कहा कि वायरल वीडियो उनके संज्ञान में आया है. उन्होंने कहा, "यह शर्मनाक है कि ऐसा हुआ. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि स्कूल पंजीकृत है या नहीं. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि यह हमारे पास पंजीकृत नहीं है. हम जांच के बाद आगे की जरूरी कार्रवाई करेंगे." वहीं, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता और अभिभावकों में प्रिंसिपल को लेकर काफी गुस्सा है.


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