Lok Sabha Election 2024: साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो गई हैं. सभी राजनीतिक पार्टियों ने इसके लिए काम करना शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में छोटी पार्टियां अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 'बड़े भाई' की तलाश कर रही हैं. समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के लगभग टूट जाने के साथ, ये पार्टियां एक ऐसा विकल्प चाहती हैं जो उन्हें राज्य की राजनीति में महत्व बनाए रखने में मदद करें.


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राजभर कर रहे बीजेपी के साथ संबंध सुधारने की कोशिश


ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) ने समाजवादी पार्टी (SP) के साथ गठबंधन में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव के बाद गठबंधन टूट गया. राजभर अब बीजेपी के साथ संबंध सुधारने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने हाल के राष्ट्रपति चुनावों में NDA उम्मीदवार को वोट देकर इसकी शुरुआत की. हालांकि, बीजेपी राजभर की पार्टी को वापस बोर्ड में लेने के लिए राजी नहीं है, क्योंकि राजभर को 'अविश्वसनीय सहयोगी' माना जाता है.


सीएम योगी की करते रहते हैं तारीफ


इसके बाद भी राजभर समय-समय पर योगी आदित्यनाथ सरकार की तारीफ करते रहते हैं. उन्होंने कहा, 'अगर कोई पार्टी कुछ अच्छा करती है, तो मैं उसकी सराहना क्यों न करूं? हम एक राजनीतिक दल हैं और हम ऐसे फैसले लेते हैं, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को फायदा होता है.'


चाचा-भतीजे में मेल मिलाप की संभावना कम


इस बीच, शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व वाली प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (PSPL) ने सपा के साथ अपने संबंधों को तोड़ दिया है. ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच संबंध खराब हैं. वहीं मुलायम सिंह यादव लगभग सक्रिय राजनीति से बाहर हो गए हैं. चाचा और भतीजे के बीच किसी भी तरह के मेल-मिलाप की संभावना बहुत कम है. शिवपाल ने कहा, 'मुझसे धोखा हुआ है और भारी कीमत चुकाकर मैंने सबक सीखा है. मैं अब लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पूरी ताकत अपने पार्टी संगठन को मजबूत करने में लगाऊंगा.'


कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकते हैं शिवपाल यादव


उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि उन्हें कांग्रेस की ओर से कई तरह के विचार मिल रहे थे और 'अगर सौदा सम्मानजनक है' तो PSPL लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती है. कांग्रेस के साथ समस्या यह है कि राज्य में उभरती राजनीतिक स्थिति को संबोधित करने वाला कोई नहीं है. चुनाव में हार के छह महीने बाद भी पार्टी नेतृत्वविहीन बनी हुई है. सूत्रों के मुताबिक, शिवपाल यादव भी एक व्यापक मोर्चे पर विचार कर रहे हैं, जिसमें सपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान नेतृत्व कर रहे हैं.


आजम खान भी ले सकते बड़ा फैसला


सूत्रों का कहना है कि आजम खान अखिलेश के नेतृत्व वाले एसपी के साथ ज्यादा सहज नहीं हैं. उनके एक करीबी नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक आने पर वो फैसला लेंगे. सपा के दो अन्य पूर्व सहयोगी महान दल और जनवादी पार्टी ने एसबीएसपी और पीएसपीएल से पहले ही नाता तोड़ लिया था. पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'हम छोटे दल हैं और हमें चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए सहयोगी के रूप में एक बड़े राजनीतिक दल की जरूरत है.'


(इनपुट- आईएएनएस)


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