12 साल के मासूम पर लगाया बिस्कुट चोरी का आरोप, 12वीं के छात्रों ने बैट से पीटकर मार डाला
इतना ही नहीं स्कूल प्रशासन ने शव का पोस्टमार्टम करवाया और आनन-फानन में शव को सभी नियमों का उल्लंघन कर छात्रावास में ही दफना दिया है. बताया जा रहा है कि छात्र हापुड़ का रहने वाला था.
देहरादून: ऋषिकेश रानीपोखरी में स्थित चिल्ड्रन होम एकेडमी में पढ़ने वाले 12 वर्षीय छात्र वासु यादव की हत्या के मामले को उत्तराखंड पुलिस ने सुलझा लिया है. पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. दरअसल, 10 मार्च को थाना रानीपोखरी द्वारा चिल्ड्रन ओम एकेडमी में पढ़ने वाले 12 वर्षीय वासु यादव मौत हो गई थी. स्कूल प्रशासन और जॉलीग्रांट अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि छात्र की मृत्यु फूड प्वाइजनिंग के चलते हुई है, जिसके बाद थाना रानीपोखरी ने भी फूड पॉइजनिंग कारण मौत मानकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई. इतना ही नहीं स्कूल प्रशासन ने शव का पोस्टमार्टम करवाया और आनन-फानन में शव को सभी नियमों का उल्लंघन कर छात्रावास में ही दफना दिया है. बताया जा रहा है कि छात्र हापुड़ का रहने वाला था और उसके पिता मेरठ में रहे हैं, जो कुष्ठ रोगी हैं.
लेकिन जैसे ही मामला बाल संरक्षण आयोग पहुंचा, तो पुलिस की थ्योरी पर सवाल खड़े हो गए. बच्चे की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने खुद स्कूल पहुंची और जांच पड़ताल शुरू की. जांच में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए. आयोग ने इस पूरे प्रकरण पर स्कूल की भूमिका संदिग्ध पाई और बच्चों से पूछताछ करने पर आयोग की अध्यक्ष ने पाया कि बच्चे के साथ मारपीट की गई थी, जिस कारण उसकी मौत हुई.
आयोग की अध्यक्ष ने पुलिस से भी पूरी रिपोर्ट मांगी. पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की बात कही. मृतक छात्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उसमें साफ तौर पर चोट के निशान शरीर पर दिखाई दिए जाने की पुष्टि डॉक्टरों द्वारा की गई है. यही नहीं मृतक छात्र के शरीर से खून बह जाने के कारण बच्चे की मौत का जिक्र था. पीएम रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस ने एकेडमी में पढ़ने वाले दो छात्रों और एकेडमी के वार्डन पीटी टीचर और एक अन्य व्यक्ति को इस हत्या का दोषी पाते हुए गिरफ्तार किया कर लिया है.
वहीं, एकेडमी के संचालक स्टीफन सरकार के खिलाफ कोई भी कार्रवाई न होने से पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध पाई जा रही है. पुलिस द्वारा पहले मामले को दबाने की कोशिश की गई. लेकिन अब पुलिस द्वारा मामले का खुलासा करने का दावा किया जा रहा है. वहीं, ऋषिकेश जौली ग्रांट अस्पताल के डॉक्टरों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं.
मेरठ से अपने बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद परिवार में मातम छाया है. बाल संरक्षण आयोग द्वारा मामले को संज्ञान में लेते हुए एसएसपी देहरादून से पूरी रिपोर्ट तलब की है. इस पूरे मामले की विवेचना के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, उसमें ये पाया गया कि 10 मार्च को सभी बच्चे होस्टल से चर्च गए थे, जिसमे मृतक वासु यादव भी शामिल था. रास्ते मे वासु ने लेखपाल सिंह रावत की दुकान से बिस्कुट का पैकेट चोरी कर लिया, जिसकी सूचना लेखपाल सिंह ने चर्च मे जाकर वहा के सम्बंधित स्टाफ को दी गई. स्टाफ द्वारा वासु को डांटा गया और सभी बच्चों को बिना अनुमति के आउटपास जाने से रोकने को कहा गया.
इस पर सीनियर छात्र शुभांकर और लक्ष्मण जो 12वीं कक्षा के छात्र है. इन दोनों छात्रों पर आरोप है कि हॉस्टल आकर इन्होंने वासु के साथ क्रिकेट के बैट और विकेट से मारपीट करनी शुरू कर दी और उसको मार-पीटने के बाद छत में ले जाकर ठंडे पानी से नहलाया और गंदा पानी पिलाया. इसके बाद उसे जबरदस्ती खाना भी खिलाया गया और फिर पीटाई लगाई. इस पीटाई के कारण मासूम बेहोश हो गया.
आरोप है कि आरोपी छात्रों ने वासु को बेहोशी की हालात में स्टडी रूम में छोड़ दिया. जिस बेट से उन्होंने मासूम को पीटा था, उसे स्कूल में ही छुपा दिया और विकेट-किल्ली को जला दिया. वार्डन ने स्टडी हॉल में जब बच्चों की गिनती की, तो वासु बेहोशी की हालात में बैठा था. उसको उठाते ही उसने उल्टी करना शुरू कर दी. आनन-फानन में उसे HIHT अस्पताल जौलीग्रांट ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
पुलिस द्वारा सभी अभियुक्तों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में पेश करने की तैयारी की जा रही है. पुलिस आरोपी छात्र शुभांकर, लक्ष्मण, प्रवीन 51, अशोक सोलोमन पीटीआई टीचर और वार्डन अजय कुमार को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर घटना मे प्रयुक्त क्रिकेट बैट और विकेट किल्ली की अधजली लकड़ी व राख को बरामद कर कब्जे में ले लिया है. पुलिस ने एकेडमी के संचालक स्टीफन सरकार के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की है, जिससे पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे है. वहीं, बेटे की मौत के बाद परिवार में मातम छाया हुआ है.