सुनील सिंह/ संभल: कोरोना वायरस से जंग में अपना योगदान दे रहे कोरोना वॉरियर्स को पूरा देश सलाम करता है. संभल में एक ऐसे ही कोरोना वॉरियर सभी के प्रेरणास्रोत हैं. 65 साल के ये कोरोना वॉरियर पवित्र महीने रमज़ान में भी अपने घर जाने के बजाय हॉस्पिटल के फेरे लगा रहे हैं, क्योंकि वो एक एंबुलेंस ड्राइवर हैं.


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सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में तैनात हैं बाबू भारती 
65 वर्ष बुजुर्ग बाबू भारती संभल के ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस चालक के तौर पर तैनात हैं. बाबू भारती 23 मार्च से दिन-रात स्वास्थ्य टीम के साथ कोरोना संक्रमित लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं. गांव और कस्बों से अस्पताल तक न जाने कितने फेरे बाबू भारती अब तक लगा चुके हैं. इस काम में न तो उनकी उम्र आड़े आई, न ही उनका जज़्बा कम हुआ. 


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रमजान का महीना भी एंबुलेंस में ही बीत रहा है 
बाबू भारती पिछले 50 दिनों से अपने घर नहीं गए हैं. उन्होंने एंबुलेंस को ही अपना घर बना लिया है. यहीं सोते हैं, यहीं उठते हैं और एमरजेंसी कॉल आते ही स्वास्थ्य विभाग के साथ निकल पड़ते हैं. रमज़ान का महीना भी इसी दिनचर्या में बीत रहा है. अपनों की शक्ल देखे भी करीब 2 महीने का वक्त बीत चुका है.


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'जब तक कोरोना से जंग नहीं जीतेंगे, घर नहीं जाएंगे'
यूं तो बाबू भारती की उम्र आराम करने की है लेकिन उनका कहना है कि जब तक जिले से कोरोना का संक्रमण ख़त्म नहीं हो जाता, वो इस युद्ध में जुटे रहेंगे.  स्वास्थ्य विभाग यहां 2 एंबुलेंस चालकों को निलंबित भी कर चुका है, लेकिन बाबू भारती कभी भी अपनी ड्यूटी से पीछे नहीं हटे और पूरी शिद्दत से ये लड़ाई लड़ने में जुटे हुए हैं.


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