लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चर्चित पशुधन घोटाला को लेकर सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर है. बताया जा रहा है कि मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. दरअसल, सचिवालय में ही बैठकर सरकारी विभाग के नाम पर फर्जी टेंडर जारी करके करोड़ों रुपये डकारने का बेखौफ खेल चल रहा था. ये खेल आगे भी चलता, अगर इस गिरोह के हाथों 9.72 करोड़ की ठगी के शिकार हुए इंदौर के व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया पुलिस से शिकायत न करते और सरकार ने सख्ती न दिखाई होती तो.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जानिए क्या था ये पूरा घोटाला: अजब घोटाले की गजब कहानी: सचिवालय में दफ्तर बनाया, खुद फर्जी IAS बना और फर्जी टेंडर के नाम पर वसूले करोड़ों


पीड़ित की तहरीर पर 13 जून की रात लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, निजी सचिव धीरज देव के साथ-साथ आशीष राय, अनिल राय, ऐके राजीव, उमाशंकर और रूपक की गिरफ्तारी हो चुकी है. पशुधन घोटाले में मददगार रहे सचिन वर्मा, त्रिपुरेश पांडेय और होमगार्ड रघुवीर सिंह यादव को भी पकड़ा जा चुका है. घोटाले की जांच का जिम्मा लखनऊ पुलिस द्वारा गठित की गई SIT पर है.


सचिवालय में ही चलता था फर्जी ऑफिस, बैठता था फर्जी IAS
पशुधन घोटाले के मास्टमाइंड आशीष राय ने पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद पूछताछ में बताया था कि वो विधानसभा सचिवालय स्थित एक कमरे को एस. के. मित्तल, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग की तख्ती का इस्तेमाल करता था. इस काम में खुद विधानसभा सचिवालय स्थित कार्यालय के प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, सहायक समीक्षा अधिकारी उमेश मिश्र, निजी सचिव धीरज कुमार देव, रघुबीर यादव एवं सचिवालय के सरकारी चालक विजय कुमार ने उसका सहयोग किया. फर्जी आईएएस एस के मित्तल के तौर पर खुद आशीष राय वहां बैठता था. एसके मित्तल के नाम का परिचय पत्र भी उसके पास से बरामद हुआ था.


WATCH LIVE TV