अजब घोटाले की गजब कहानी: सचिवालय में दफ्तर बनाया, खुद फर्जी IAS बना और फर्जी टेंडर के नाम पर वसूले करोड़ों
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अजब घोटाले की गजब कहानी: सचिवालय में दफ्तर बनाया, खुद फर्जी IAS बना और फर्जी टेंडर के नाम पर वसूले करोड़ों

सचिवालय में ही बैठकर सरकारी विभाग के नाम पर फर्जी टेंडर जारी करके करोड़ों रुपये डकारने का बेखौफ खेल चल रहा था. ये खेल आगे भी चलता, अगर इस गिरोह के हाथों 9.27 करोड़ की ठगी के शिकार इंदौर के एक व्यापारी ने पुलिस से शिकायत न की होती.

अजब घोटाले की गजब कहानी: सचिवालय में दफ्तर बनाया, खुद फर्जी IAS बना और फर्जी टेंडर के नाम पर वसूले करोड़ों

लखनऊ: जून 2020 में जब पशुधन घोटाला सामने आया तो इसे अंजाम देने वालों के शातिर दिमाग ने हर किसी को हैरान कर दिया. कानून क्या, इन्हें तो सरकार का भी खौफ नहीं था. सचिवालय में ही बैठकर सरकारी विभाग के नाम पर फर्जी टेंडर जारी करके करोड़ों रुपये डकारने का बेखौफ खेल चल रहा था. ये खेल आगे भी चलता, अगर इस गिरोह के हाथों 9.27 करोड़ की ठगी के शिकार इंदौर के एक व्यापारी ने पुलिस से शिकायत न की होती और सरकार ने इस पर इतनी सख्ती न दिखाई होती. 

सचिवालय में ही चलता था फर्जी ऑफिस, बैठता था फर्जी IAS
पशुधन घोटाले के मास्टमाइंड आशीष राय ने पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद पूछताछ में बताया था कि वो विधानसभा सचिवालय स्थित एक कमरे को एस. के. मित्तल, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग की तख्ती लगाकर उपयोग रहा. इस काम में खुद विधानसभा सचिवालय स्थित कार्यालय के प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, सहायक समीक्षा अधिकारी उमेश मिश्र, निजी सचिव धीरज कुमार देव, रघुबीर यादव एवं सचिवालय के सरकारी चालक विजय कुमार ने उसका सहयोग किया. फर्जी आईएएस एस के मित्तल के तौर पर खुद आशीष राय वहां बैठता था. एस के मित्तल के नाम का परिचय पत्र भी उसके पास से बरामद हुआ था. 

इसी दफ्तर में इंदौर के व्यापारी मंजीत को फांसा गया
आशीष राय ने बताया था कि सचिवालय के उसी कमरे में उसने मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू से फर्जी वर्क आर्डर जारी कर कई बार में 9 करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपए ठगे. मंजीत को फंसाकर यहां तक लाने मे दो पत्रकारों एके राजीव और अनिल राय ने उसका साथ दिया. इसके अलावा इस धोखाधड़ी और ठगी में मोंटी गुर्जर, रूपक राय, संतोष मिश्र, अमित मिश्र, उमाशंकर तिवारी, दिल बहार सिंह यादव और अरूण राय भी उसके साथ शामिल रहे. 

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मंजीत ने आशीष राय को टेंडर के नाम पर करोड़ों दिए
सचिवा में पूर्व प्रधान सचिव और मामले में अभियुक्त रजनीश दीक्षित ने बताया कि मंत्री जयप्रताप सिंह निषाद के निजी सचिव धीरज कुमार देव के जरिये उनका संपर्क आशीष राय से हुआ. आशीष राय के प्रस्ताव पर लालच के चलते उन्होंने विधानसभा सचिवालय के सरकारी कमरे को पालन विभाग में उपनिदेशक एस.के.मित्तल का कार्यालय बताकर आशीष राय को उसमें बैठाने में सहयोग दिया. जिससे मंजीत सिंह भाटिया ने झांसे में आकर आशीष राय को उपनिदेशक समझा और टेंडर के नाम पर कई बार में करोड़ों रूपये दिए. उसने और उसके साथियों ने आशीष के साथ मिलकर मंजीत को कूटरचित वर्कआर्डर भी दे दिया, जिसके एवज में उन्हें मंजीत से मोटी रकम मिली थी. 

मंजीत की शिकायत पर STF को सौंपी गई जांच
इतना सब कुछ होने के बाद जब मंजीत को पता चला कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है, तो उसे इस गैंग ने धमकाना शुरू कर दिया. उसके साथ मारपीट भी की गई. आखिरकार मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू ने उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में टेण्डर के माध्यम से अपने साथ 9 करोड़ 72 लाख रूपये की ठगी होने की शिकायत की. अब मामले की जांच STF के हाथ में आ गई, जिसके बाद इस अनोखे ठगीकांड का खुलासा होना शुरू हुआ, जिसमें खुद सरकारी अधिकारी सचिवालय में ही सारा गेम खेल रहे थे. 

स्कैम का खुलासा होते ही धरे गए मुख्य आरोपी 
मामले में तत्काल 7 लोगों की गिरफ्तारी की गई. इनमें पशुधन राज्यमंत्री जयप्रताप निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, निजी सचिव धीरज कुमार देव, पत्रकार आशीष राय, अनिल राय, कथित पत्रकार एके राजीव, रूपक राय और उमाशंकर को 14 जून को गिरफ्तार किया गया था. पकड़े गए लोगों के पास कुल 28,32,000 रुपए नकद, एक परिचय पत्र, दो फर्जी परिचय पत्र तथा एक बन्द अटैची में दस्तावेज बरामद किये गए. 

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IPS अधिकारी भी थे नेक्सस में शामिल 
इस घोटाले में छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक की मिलीभगत थी. स्कैम में बाराबंकी में हेड कांस्टेबल रहे दिलबहार सिंह का नाम आने के बाद उसको सस्पेंड भी किया गया था. इसी घोटाले में SIT जांच के दौरान आज सस्पेंड किए गए दो सीनियर आईपीएस अरविंद सेन और दिनेश चंद्र दुबे को सस्पेंड किया गया है. सीबीसीआईडी में तत्कालीन एसपी अरविंद सेन पर आरोप है कि उन्होंने गिरोह द्वारा इस फर्जीवाड़े के एवज में 50 लाख रुपये की रिश्वत ली थी. जांच में इन पर मंजीत को धमकाने का आरोप सही पाया गया. वहीं आरोपियो के टेलीफोन कॉल्स और मैसेज की डीटेल्स से आईपीएस और वर्तमान में DIG रूल्स मैनुअल दिनेश चंद्र दुबे पर गिरोह को  ठेका दिलाने के गंभीर आरोप है. उन्होंने यूपीसीडको, दिव्यांग के हॉस्टल की बिल्डिंग समेत बरेली में बस अड्डे के निर्माण के ठेके भी दिलाए. 

प्रवर्तन निदेशालय करेगा संपत्तियों की भी जांच 
मास्टरमाइंड आशीष ने अपने करीबी रूपक राय के नाम पर फर्जी फर्मों के बैंक खाते खुलवाए. उसमें गोमतीनगर के सोनार सचिन वर्मा के जरिए करोड़ों का लेन-देन भी किया गया. ईडी को आशंका है कि आशीष राय और उसके करीबियों ने फर्जीवाड़े के जरिए करोड़ों की कमाई की है और उसे फर्जी कंपनियों के जरिए खपाया है. आशीष ने लखनऊ, मुंबई समेत कई शहरों में बेनामी संपत्तियां भी बनाई हैं. ईडी पकड़े गए 9 आरोपियों समेत उन आईपीएस अफसरों की भी जांच करेगी, जिन्हें मदद करने के ए‌वज में मोटी रकम दी गई थी.

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