आगरा: राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में आगरा में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच को स्थापित किए जाने की मांग उठाई है. उन्होंने इस बारे में कहा कि ब्रिटिश काल में नॉर्थ वेस्ट प्रोविंस के आगरा में वर्ष 1866 से 1868 तक हाईकोर्ट था फिर इसे प्रयागराज स्थानांतरित किया गया. आल इंडिया हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं की साल 1956 में हुई बैठक में फिर से आगरा में हाईकोर्ट स्थापित किए जाने की मांग उठी. रामजीलाल सुमन ने इस बारे में आगे कई और बातें कहीं. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की बेंच उत्तर प्रदेश के जैसे ही अन्य प्रांतों में भी स्थापित करने की मांग पर जसवंत सिंह आयोग का भारत सरकार ने गठन किया. 


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हाईकोर्ट की बेंच स्थापित किए जाने की मांग 
मद्रास हाईकोर्ट की बेंच मदुरई के साथ ही मुंबई हाईकोर्ट की बेंच औरंगाबाद में आयोग ने स्थापित करने की संस्तुति की थी. साल 1985 में आगरा से दिल्ली तक अधिवक्ताओं ने पदयात्रा किया और राष्ट्रपति से मुलाकात की. आगरा में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित किए जाने की इन अधिवक्ताओं ने आग्रह किया. 


आगरा को हाईकोर्ट की बेंच के लिए उत्तम
सांसद रामजीलाल सुमन ने इस संबंध में जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि है कि यह अफसोसजनक है कि लंबे वक्त तक चल रही यह मांग अधूरी है. सांसद के अनुसार न्यायलयों पर बढ़ते दबाव को ध्यान में रखते हुए नई बेंच बनानी चाहिए. आगरा बार काउंसिल ने साल 1987 में हाईकोर्ट में जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह किया जिसमें में पाया गया कि आयोग ने आगरा को हाईकोर्ट की बेंच के लिए सबसे उत्तम जगह मानी है. 


सस्ता एवं सुलभ न्याय कहीं नहीं
मंगलवार को राज्यसभा में सुमन ने आगे कहा कि  देश के न्यायालयों में पांच करोड़ से ज्यादा मुकदमे विचाराधीन हैं. न्यायाधीशों के 74 पद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में खाली हैं. चतुर्थ व तृतीय श्रेणी के कर्मचारी भी पर्याप्त नहीं है. सस्ता एवं सुलभ न्याय कहीं नहीं दिखता. वादों का अत्यधिक दबाव इलाहाबाद हाईकोर्ट में है, ऐसे में आवश्यक है कि आगरा में बेंच स्थापित की जाए.


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