आगरा में ढहाया जा रहा 400 साल पुराना मुगलकाल का हमाम, कभी था मंदिर-मजार से गुलजार
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Agra News: आगरा में ऐसी बहुत सी इमारतें हैं जो उपेक्षित हैं. ये वो इमारतें हैं तो राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारकों की लिस्ट में नहीं हैं. आगरा में एक स्मारक को धीरे-धीरे गिराया जा रहा है. आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक स्मारक के बारे में जिसको बचाने के लिए लोग इंटरनेट पर अपील कर रहे हैं.
Agra News: मुगलकालीन हमाम आगरा की उपेक्षित विरासतों में से एक है. देखरेख के अभाव में यह अपने वजूद को बचाने की जंग लड़ रहा है. अब एक बिल्डर द्वारा इसे तोड़ा जा रहा है. 16वीं शताब्दी का यह स्मारक लाखौरी ईंटों और लाल बलुई पत्थरों से बना है. हमाम एएसआई के संरक्षित स्मारकों की लिस्ट में शामिल नहीं है. सोशल मीडिया पर हमाम को बचाने की अपील की जा रही है. लोग इसके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पर स्मारक को बचाने की अपील
आगरा के छीपीटोला में मुगलकालीन हमाम है.छीपीटोला स्थित हमाम का संरक्षण नहीं किया गया. अब बिल्डर द्वारा इसे तोड़ा जा रहा है. सोशल मीडिया पर इस हमाम को नष्ट होने से बचाने की अपील का संदेश प्रसारित हुआ है. लगभग 8 हजार गज जगह पर ये स्मारक बना हुआ है.
लाखौरी ईंटों और लाल बलुई पत्थरों का बना स्मारक
16वीं शताब्दी का यह स्मारक लाखौरी ईंटों और लाल बलुई पत्थरों का बना हुआ है. कुछ साल पहले इसकी स्थिति अच्छी थी, लेकिन देखरेख के अभाव में स्मारक अपने वजूद को बचाने की जंग लड़ रहा है और लगातार खंडहर होता चला जा रहा है. यहां नया निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए गेट को तोड़ा जा रहा है.
परिसर में थे मंदिर और मजार, लगा करती थी फलों की मंडी
कहा जाता है कि पहले इस क्षेत्र में फलों की मंडी लगा करती थी. डोम में फल स्टोर किए जाते थे. इसी परिसर में मंदिर और मजार भी थी. यहां पर लोग भी रहने लगे थे. पिछले कुछ दिनों से स्मारक की दीवार गिराई जा रही है. स्थानीय लोगों के मुताबिक इसकी मरम्मत के लिए ऐसा किया जा रहा है. लेकिन समय निकलने के साथ ही पूरी दीवार ढहा दी गई. जब पूरे बरामदे को घेर लिया गया तो लोगों को शक हुआ. लोग जागरूक हुए और अंदर जाकर जानकारी जुटाने लगे. लोगों के मुताबिक उनको अंदर नहीं जाने दिया गया. परिसर के अंदर ईंटों का ढेर लगा हुआ है.
गेट पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड
यहां पर एक गेट लगा है जिस पर लिखा है कि- निजी संपत्ति हमाम गेट छीपीटोल और बिना अनुमित के प्रवेश निषेध होने की बात लिखी गई है. गेट पर मालिक का नाम सुरेशचंद कुशवाहा लिखा हुआ है.
कहीं नहीं है इतना बड़ा हमाम
आगरा हेरिटेड वॉक कराने वाले ताहिर अहमद का कहना है कि ये हमाम बहुत बड़ा है. आसपास के क्षेत्र में इतना बड़ा हमाम नहीं है. जब भी मुगलकालीन स्ट्रक्चर की बात की जाती है तो इस हमाम का जिक्र होता है. अगर इसका अस्तित्व खत्म हो गया तो शहर को नुकसान हो सकता है. इस को बचाने की जरुरत है.
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