Privatization of Electricity: यूपी में बिजली व्यवस्था निजी हाथों में सौंपी जा सकती है. जिसकी वजह से पूरे प्रदेश में यह मुद्दा गरमाता जा रहा है. ऐसे में आज पूरे प्रदेश में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन होगा. इतना ही नहीं आगरा में बिजली पंचायत भी बैठने वाली है. इस पंचायत में निजीकरण से उपभोक्ताओं और कार्मिकों को होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी जाएगी. आपको बता दें, पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी हाथों में देने का विरोध अभियंता कर रहे हैं. वे विरोध प्रदर्शन करते हुए इसकी खामियां गिना रहे हैं. अभियंताओं ने तो यह भी संकल्प लिया है कि वे एकमुश्त समाधान योजना के क्रियांवयन में किसी तरह की दिक्कत नहीं आने देंगे.


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निजीकरण को लेकर विरोध प्रदर्शन
सोमवार को कई कार्यालयों एवं परियोजनाओं पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी हाथों में देने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ. पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन पर इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के उलंघन का आरोप विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने लगाया है. आपको बता दें, एक्ट की धारा 131 में परिसंपत्तियों का राजस्व क्षमता के हिसाब से मूल्यांकन करके ही हस्तांतरण करने का नियम है. रिपोर्ट्स की मानें तो प्रबंधन द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए पूर्वांचल में 15596 करोड़ रुपये और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के लिए 13938 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य है. परिसंपत्तियां खरबों रुपये की है, जिसे बेचने के लिए 1500 करोड़ रुपये रिजर्व प्राइस रखी गई है. पूरी जमीन निजी घरानों को सिर्फ एक रुपये प्रति वर्ष की लीज पर दे दी जाएगी.


कैबिनेट मंत्री राजभर को ज्ञापन
समिति के पदाधिकारियों की मानें तो निगम की परिसंपत्तियों का ऑडिटेड मूल्य और राजस्व क्षमता सार्वजनिक करना चाहिए. सोमवार को पावर आफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पूर्वांचल व दक्षिणांचल को पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण की दिशा में ले जाने के मामले में ज्ञापन सौंपा. उन्होंने बताया कि इससे करीब 16 हजार आरक्षित पद खत्म हो जाएंगे. पदाधिकारियों ने कैबिनेट मंत्री से आरक्षण बचाने की भी अपील की. इस दौरान एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, अनिल कुमार, आरपी केन, बिंद्रा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, आनंद कनौजिया, विनय कुमार मौजूद रहे.


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