UP Latest News: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में जल्दी ही एक शानदार मेला लगने वाला है. जहां हर साल लगने वाले एक अनोखे पशु मेले में लोग गधों के लिए मुंह मांगी रकम देने को तैयार हो जाते हैं. आपको बता दें कि इस मेले में भारत के कोने-कोने से लोग पशु बेचने और खरीदने के लिए आते हैं. यह मेला मशहूर सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के पिता कुर्बान अली शाह की याद में हर साल लगता है. मेला हल साल कार्तिक मास में लगता है. 


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गधे और खच्चर की होती है भारी मांग
इस मेले में ज्यादातर मांग गधों और खच्चरों की होती है. इस मेले में आने वाले लोगों के अनुसार यहां गधे खरीदने और बेचने आने वाले लोग कभी भी निराश मन से घर वापस नहीं जाते हैं. हालांकि मेले में गधों और खच्चरों के अलावा खान-पान, लकड़ी, लोहे और चीनी मिट्टी के सामान, अन्य पशु बाजार के साथ घोड़ा बाजार भी लगता है. 


बढ़िया गधों की पहचान
आपको बता दें कि गधा घोड़े की की ही एक प्रजाति होती है. जोकि दिखने में घोड़े से छोटा होता है. लेकिन घोड़े के मुकाबले इसके कान काफी बड़े होते हैं. अगर हम खच्चरों की बात करें तो वह घोड़े और गधों के क्रॉस होने से हैदा होते हैं. खच्चरों के सिर पर घोड़ों की तुलना में बाल कम होते हैं. खरीदारों द्वारा इनकी चाल और मजबूती देखकर ही इनकी कीमत लगाई जाती है. ज्ञात हो कि नर गधे और खच्चर की कीमत मादा के मुकाबले काफी कम होती है. 


बोझ उठाने के काम आते हैं
मुख्यतः गधों या खच्चरों का प्रयोग बोझा ढोने के काम के लिए होता है. गधों की मदद से भट्ठों पर ईंट के साथ कई इलाकों में मिट्टी, बालू और मौरंग भी ढोई जाती है. तो वहीं खच्चरों की मदद से पहाड़ों पर चढ़ाई की जाती है. पहाड़ों पर खच्चरों का प्रयोग एक सवारी के रूप में होता है. 


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