Kushinagar News (प्रमोद कुमार): कोई झूम रहा है, कोई लेटकर गोल-गोल घूम रहा है तो कोई बाल खोल सिर हिला रहा है. हम किसी पागल खाने की नहीं बल्कि कुशीनगर के बूढ़न शाह बाबा की दरगाह की,  जहां 700 साल से भूतों की अदालत लगती आ रही है. रहस्यमयी किस्सों-कहानियों से भरी यह दरगाह पड़रौना नगर से 9 किलोमीटर दूर शाहपुर गांव के पास टीले पर स्थित है.


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दरगाह से जुड़े हैरान करने वाले दावे
भूत प्रेतों से मुक्ति पाने का बाबा बूढ़न शाह कुशीनगर वासियों के लिए एक पवित्र स्थान है तो कुछ लोगो के लिए भूतों की सबसे लंबी चलने वाली अदालत, जहां सुनवाई भी होती है और सजा भी तय होती है, कौन जज सुनवाई करता हैं, कौन वकील होता हैं यह अपने आप में एक रहस्य है, रहस्यों से भरे बाबा बूढ़न शाह की दरगाह पर लोगो की भीड़ देख और किये जाने वाले दावों को सुन शायद विज्ञान भी चौक जाए.


चमत्कार के अनोखे किस्से-कहानियां
बाबा बूढ़न शाह के दरगाह की तमाम कहानियां और चमत्कार के अनोखे किस्से हैं. दावा किया जाता है कि बाबा के चमत्कार की वजह से नदी उत्तर से दक्षिण की तरफ नही बहती बल्कि बाबा के चमत्कार ने नदी को उल्टी दिशा में बहने को मजबूर कर दिया. जिसमें नहाने से बीमारियां दूर होती हैं. बाबा बूढ़न शाह के दरबार ने यूपी ही नहीं बल्कि बिहार,और नेपाल तक प्रसिद्धी हासिल की है.


दरगाह का नजारा हैरान करने वाला
Zee मीडिया की टीम जब दरगाह पर पहुंची तो बाहर सब शांत था. लेकिन जब अंदर गए तो अंदर नजारा ठीक इससे उल्टा था. अंदर अशांति का माहौल हैरान करने वाला था,जोर जोर से झूम रही महिलाओं की भीड़ को देख यही सवाल उठा कि आखिर इन्हें हुआ क्या है?आखिर क्यों? यह अपनी सुध बुध खो बैठी हैं.आखिर महिलाओं के ऐसे व्यवहार देख क्यों? लग रहा हैं कि इन्हें कोई और कंट्रोल कर रहा है.


बाबा की पर्ची से लगती हाजिरी
दरगाह के अंदर हर तरफ सिर्फ मजार क्यों बनी हैं, कई सालों से आ रहा है तो कोई रोज आता है तो कई महीनों से यहां डेरा जमा कर यही रह रहा है, दावे ऐसे कि जहां डॉक्टर का इलाज न काम आए वहां बाबा की पर्ची काम आये. इस दरगाह के मुख्य सेवादार उर्दू भाषा में सादे कागज पर कुछ लिख रहे थे. जब पूछा गया तो पता चला यह भूत बुलाने की हाजिरी बन रही है.


जब यह हाजरी बनकर बाबा बूढ़न शाह के मजार पर जायेगा तो जिसने हाजिरी लगवाई वह खुद झूमते हुए बाहर आ जायेगा. भूत-प्रेत की दिक्कत जिस इंसान को होगी वह खुद ऐसे ही जमीन पर लेटते, दौड़ते, हंसते, रोते हुए अपनी गलती की माफी मांगता आएगा और इंसानी शरीर में क्यों शरण ली यह जानकारी देगा, फिर उस इंसानी शरीर को छोड़ने की शर्त बताएगा.


हिंदू लोग भी दरगाह पहुंचते
भले ही यह मुस्लिम समाज की दरगाह हो लेकिन बड़ी तादाद में यहां हिन्दू समाज के लोग भी हाजिरी लगाते दिखे. बता दें कि यहां के सेवादार ने बताया,  "इस दरगाह के बगल में तीन ऐसी और मजार थी, जो हिन्दू समाज से जुड़े उन सेवादारों की थीं. ये बाबा बूढ़न शाह की सेवा करते करते चल बसे, जिनमें एक ब्राह्मण थे तो दूसरे यादव जबकि तीसरे एक साधु थे."


उल्टी बहती नदीं?
हिन्दू मुस्लिम समाज के एकता का प्रतीक माने जाने बाबा बूढ़न शाह की इस दरगाह का यही महत्व बेहद खास और सबसे अलग हैं, दरगाह के बगल से ही एक छोटी सी नदी भी यहां उल्टा बहती हैं,और इस नदी में स्थान करने से जिन्हें शारिरिक कष्ट होता हैं जिन्हें दवाओं से आराम नही आता वह इस नदी में नहाते ही अपने तमाम कष्ट से मुक्ति पा जाता हैं, अब इसे आस्था कहे या फिर अंधविश्वास.


स्थानीय लोगों का क्या कहना?
स्थानीय लोगों ने बताया, "पड़रौना राजदरबार के राजा जगदीश सिंह का कोई संतान नहीं थी. उन्होंने कई अनुष्ठान-पूजा की, कई धार्मिक स्थलों पर माथा भी टेका लेकिन संतान की प्राप्ति नही हुई. किसी ने बाबा बूढ़न शाह बारे में बताया कि हाजरी लगाए फिर संतान का सुख प्राप्त करें. राजा जगदीश सिंह ने हाजरी लगाई. बाबा ने आशीर्वाद के तौर पर प्रसाद दिया, जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई."


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