अजय लल्लू का प्रदेश सरकार पर जुबानी हमला, कहा- यहां जंगल राज चल रहा है, सीएम कब जागेंगे
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि कभी सरकार कहती रही कि विदेशी फंडिंग हुई है, कभी कहती कि नक्सल कनेक्शन है तो कभी कहते हैं कि विपक्षी पार्टियों ने इसे अपना मुद्दा बनाया है.
राजेंद्र तिवारी/ महोबा: महोबा मुख्यालय के निजी गेस्ट हाउस में बीते बुधवार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बुंदेलखंड जोन की संगठन समीक्षा बैठक ली और बाद में मीडिया से रूबरू होते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यहां जंगल राज चल रहा है. बहु बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. वहीं, प्रदेश सरकार को किसान-विरोधी बताते हुए कहा कि बुंदेलखंड में किसान लगातार आत्महत्या कर रहा है, लेकिन सरकार सोई हुई है.
"मुख्यमंत्री कब जागेंगे"
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का कहना है, "लूट, हत्या, डकैती उत्तर प्रदेश की पहचान बनी हुई हैं. जिस तरह से हाथरस की घटना हुई और बेटी को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया. इसके बाद गोंडा में तीन बेटियों के साथ एसिड अटैक, लखीमपुर, गोरखपुर अब चित्रकूट में एक बेटी के साथ दुराचार होने के बाद वह न्याय के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाती रही और न्याय न मिल पाने के कारण मौत को गले लगा लिया. सरकार मौन है. महिला आयोग मौन है. उत्तर प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि आखिर और कितनी घटनाएं होंगी तब मुख्यमंत्री जागेंगे."
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"अपराधी, अधिकारी मस्त हैं और जनता त्रस्त है."
वहीं हाथरस की घटना को लेकर अजय कुमार लल्लू बोले, "कभी सरकार कहती रही कि विदेशी फंडिंग हुई है, कभी कहते कि नक्सल कनेक्शन है तो कभी कहते हैं कि विपक्षी पार्टियों ने इसे अपना मुद्दा बनाया है. लेकिन एक बार भी यह नहीं बताया कि उस बेटी का रात में दाह संस्कार क्यों किया गया. वह इलाज के लिए तड़पती रही, न्याय के लिए भटकती रही, चित्रकूट की घटना इस बात की गवाह है. अब सवाल यह है कि सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है. अपराधी,अधिकारी मस्त हैं और जनता त्रस्त है."
बुंदेलखंड को बताया किसानों की कब्रगाह
वहीं 2022 के गठबन्धन पर प्रदेश अध्यक्ष बोले कि, "हम जनता से गठबंधन करेंगे, किसानों ,आम आदमी से गठबंधन करके चुनाव लड़ेंगे. बुंदेलखंड आज किसानों की कब्रगाह में तब्दील हो गया है रोज किसानों की मौत हो रही है, लेकिन सरकार सुध नहीं ले रही है. किसान लगातार सूखे की मार झेल रहा है. एक रुपये किसानों को बीमा नहीं मिला है. जो मजदूर बाहर से आये थे उनको रोजगार न मिलने के कारण वह भी आज आत्म हत्या करने को मजबूर हैं."
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