लखनऊ: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) पर जमकर निशाना साधा और कई निजी टिप्पणियां की.


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दरअसल, लोक भवन को लेकर अखिलेश यादव ने बुधवार को एक ट्वीट किया था और दावा किया था कि लोकभवन का निर्माण समाजवादी पार्टी ने कराया. जिस पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा था कि अखिलेश यादव ने लोक भवन का निर्माण अपने पैसे से नहीं कराया था.
जिसके बाद आज इस मुद्दे पर जवाब देने आए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि लोक भवन के निर्माण में केशव मौर्य के मां-बाप ने भी पैसे नहीं दिया था. कौन नहीं जानता कि उपमुख्यमंत्री पर्ची की चोरी करते थे. उनके ऊपर पर्ची चोरी का मामला भी दर्ज हुआ था. केशव मौर्य दुर्गा पूजा में गलत पर्ची लेकर चंदा वसूलते थे.


अखिलेश यादव यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा की केशव प्रसाद मौर्य पिछड़ी जाति के थे, इसलिए उन्हें कुर्सी से फेंक दिया गया था. अखिलेश ने कहा कि बीजेपी के नेताओं को निजी हमला करने से बचना चाहिए, नहीं तो अब निजी हमले का जवाब बेहद निजी होगा. अगर लड़ाई होनी है तो खुलकर लड़ाई हो, छिपकर नहीं होनी चाहिए.


अखिलेश यादव ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव मौर्य पर हमला बोलते हुए कहा कि सभी जानते हैं कि सीएम योगी, डिप्टी सीएम को पसंद नहीं करते और डिप्टी सीएम, सीएम को पसंद नहीं करते. अब यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केशव मौर्य को हटाते हैं या फिर उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य मुख्यमंत्री को हटाते हैं.


BJP ने किया पलटवार


उधर, अखिलेश यादव के बयानों पर बीजेपी ने भी पलटवार करने में देर नहीं की. भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव ने कहा कि अखिलेश यादव को पूरा देश और प्रदेश टोंटी चोर के रूप में जानता है. आज जो उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य पर बयान दिया है वो उनकी हताशा को दर्शाता है. पूरे उत्तर प्रदेश में आग लगाने की उनकी कोशिशों को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने फेल कर दिया. लिहाजा वो केशव प्रसाद मौर्य पर अनर्गल आरोप लगाकर अपनी सियासी जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन देश और प्रदेश की जनता को पता है कि किसने सरकारी धन को चुराने का काम किया और ये सब कैसे हुआ.


डिप्टी सीएम और सीएम के बीच झगड़े पर भी उन्होंने कहा कि जिसने जैसा किया होता है, दुनिया उसे वैसे ही दिखाई देती है. अखिलेश यादव अपने परिवार के लोगों से जिस तरह झगड़ते हैं, वह चाहते हैं कि बीजेपी सरकार में भी ऐसा ही हो. लेकिन यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है, यहां परिवारवाद नहीं चलता.