विशाल रघुवंशी, लखनऊ : यूपी की पिछली सरकार में उत्तर प्रदेश के खनन माफियाओं ने राज्‍य से लगे छह प्रदेशों की सीमा और नेपाल से लगे सीमाक्षेत्र पर अवैध खनन का कारोबार फैला रखा था. बुंदेलखंड से लेकर सोनभद्र तक और गौतमबुद्ध नगर से लेकर बलिया-देवरिया तक नदियों के किनारे खोद डाले गए. हमीरपुर से लेकर जालौन तक के जिलों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जाता रहा है.


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पिछली सरकार में बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर और बांदा में नदियों से अवैध तरीके से मौरंग का खनन होता था. हमीरपुर के कोतवाली क्षेत्र के कलौलीतीर गांव में यह धंधा होता था और ट्रकों में मौरंग भरकर रातों रात जिले की सीमा से बाहर पहुंचा दिया जाता था. इतना ही नहीं कुरारा थाना के पतारा और बेरी खदानों में भी नदियों से खनन होता था. बांदा जिले के तो सभी पांच घाटों पर अवैध खनन अखिलेश सरकार में जारी रहा. महोबा के पनवाड़ी और महोबकंठ थाना क्षेत्र की नदियों के आसपास बिजरारी, नोगाव फदना, इटौरा, पिपरी, महुआ, नकरा सहित आधा दर्जन घाटों पर अवैध खनन धड़ल्ले से करते थे. फर्जी रवन्ना को लेकर हो रही अवैध उगाही और उससे राजस्व को होने वाले नुकसान लेकर भी सवाल उठे थे लेकिन ये सवाल केवल फाइल में ही गुम हो गए.


प्रयागराज  में बलुआघाट अवैध खनन बड़ा अड्‌डा था. यमुनापार इलाके में बारा, घूरपुर, अरैल में सौ से अधिक खनन के छोटे पट्‌टे दिए गए थे. अखिलेश सरकार में 2013  सात जून को हिमांशु कुमार कमिश्नर बनके इलाहाबाद पहुंचे और उन्होंने खनन माफियाओं के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई शुरू कर दी थी, लेकिन महज़ 24 घंटे बाद ही  आठ जून को ही उनका तबादला कर दिया गया जिस पर अदालत ने सरकार से पूछा था  कि ईमानदार छवि के इस आईएएस अफसर का तबादला क्या खनन माफियाओं के दबाव में किया गया.


प्रयागराज  की तरह ही , गौतमबुद्ध नगर, फैजाबाद समेत कई अन्य जिलों में भी अवैध खनन की कमोबेश यही स्थिति रही है. अवैध खनन की कहानी बस इतनी ही नहीं है. जिला प्रसाशन द्वारा जारी खनन के पट्टो पर नाम भले ही किसी का हो मगर तिकड़मो में माहिर खनन माफिया. जमीन, जंगल, खनिज, हथियाना बखूबी जानते थे. अखिलेश सरकार में रामपुर में डीएम पद पर 2015 और 2016 तैनात राकेश सिंह और राजीव रौतेला को कोर्ट ने रामपुर की कोशी नदी में अवैध खनन कराने को लेकर बाद में निलंबित भी किया था. अवैध खनन की जांच की जद में आने पर अखिलेश यादव सफाई दे रहे हैं.


 जुलाई 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध खनन में सक्रिय माफियाओं को कानूनी तौर पर सामने लाने के लिए सीबीआई जांच कराने का आदेश जारी किया था जिससे अवैध खनन की हकीकत कोर्ट के आदेश के बाद सामने आ चुकी थी.