लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या (Ayodhya) में बनने वाली मस्जिद की जमीन को लेकर दोनों बहनों की दायर याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अयोध्या प्रशासन की दलीलों के बावजूद सभी दावों को खारिज कर दिया. दिल्ली की दो महिलाओं ने जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए याचिका दायर की थी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

तैयार हुआ राम मंदिर की नींव का प्रारूप, फरवरी के पहले हफ्ते से शुरू हो जाएगा काम


हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक रिट याचिका दाखिल कर अयोध्या के धन्नीपुर गांव (Dhannipur Village) में मस्जिद बनाने के लिए यूपी सुन्नी सेंट्रेल वक्फ बोर्ड को आवंटित 5 एकड़ जमीन को विवादित बताया गया. दिल्ली की रहने वाली दो महिलाओं ने ये याचिका दायर की थी. आठ फरवरी यानी आज इस पर सुनवाई की गई और सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.


आवंटित जमीन के गाटा नंबर याचिका में दाखिल नंबरों से अलग 


जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और मनीष कुमार ने धन्नीपुर गांव में भूमि विवाद के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया. सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील रमेश कुमार सिंह ने याचिका पर पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि धन्नीपुर में मस्जिद के लिए आवंटित जमीन के गाटा नंबर याचिका में दाखिल नंबरों से अलग हैं. लिहाजा याचिका गलत तथ्यों पर आधारित है और खारिज करने के योग्य है. इस पर याचिकाकर्ता के वकील एच जी एस परिहार ने अपनी गलती मानते हुए याचिका वापस लेने की मांग की.


मालिकाना हक का किया गया था दावा
इससे पहले अदालत में जमीन के आवंटन को चुनौती देते अपने मालिकाना हक का दावा किया था. इस दावे पर अयोध्या के जिला प्रशासन ने कोर्ट में अपना जवाब दिया और कहा कि बहनों ने जिस जमीन पर अपना दावा किया है, वह धन्नीपुर नहीं बल्कि जिले के शेरपुर जाफर गांव की है.


जमीन पर जताया अपना हक, मुकद्ममा विचाराधीन
याचिका में दोनों महिलाओं ने आवंटित जमीन पर अपना हक होने का दावा किया था. याचिका में साथ ही यह भी कहा है कि उक्त 5 एकड़ की जमीन के संबंध में बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के समक्ष एक मुकदमा विचाराधीन है.


बंटवारे के बाद माता-पिता फैजाबाद में बस गए
याचियों का कहना था कि बंटवारे के समय उनके माता-पिता पाकिस्तान के पंजाब से आए थे. वे फैजाबाद (अब अयोध्या) जनपद में ही बस गए. बाद में उन्हें नजूल विभाग में ऑक्शनिस्ट के पद पर नौकरी भी मिली. उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी को 15 सौ 60 रुपये में 5 साल के लिए ग्राम धन्नीपुर, परगना मगलसी, तहसील सोहावल, जनपद फैजाबाद में लगभग 28 एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया. पांच साल पश्चात भी उक्त जमीन याचियों के परिवार के ही उपयोग में रही और याचियों के पिता का नाम आसामी के तौर पर उक्त जमीन से सम्बंधित राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया. हालांकि वर्ष 1998 में सोहावल एसडीएम द्वारा उनके पिता का नाम उक्त जमीन के सम्बंधित रिकॉर्ड से हटा दिया गया.


याचियों की मां ने लड़ी लंबी लड़ाई
इसके विरुद्ध याचियों की मां ने अपर आयुक्त के यहां लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी और फैसला उनके पक्ष में हुआ. याचियों का कहना है कि मुकद्मा अब तक विचाराधीन होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा इसी जमीन में से पांच एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित कर दी गई है. याचियों ने आवंटन और उसके पहले की संपूर्ण प्रक्रिया को चुनौती दी.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमीन आवंटित
बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में  सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 नवंबर 2019 को पारित निर्णय के अनुपालन में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के फैसले के बाद, सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मस्जिद के लिए जमीन आवंटित की.


मस्जिद को एकदम नया लुक दिया


अयोध्या में पांच एकड़ पर बनने वाली वाली तीन इमारतों की डिजाइन इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला पर आधारित है. मस्जिद को एकदम नया लुक दिया गया है. परिसर के 24 हजार स्क्वॉयर फीट में बनने वाली मस्जिद का डिजाइन कंटेंपरेरी है. यह पुराने ट्रेडिशनल मस्जिदों की डिजाइन से बिल्कुल अलग है.


1857 क्रांति के योद्धा के नाम पर समर्पित होगी अयोध्या की मस्जिद, जानें कौन हैं अहमदुल्ला शाह 'फैजाबादी' ?


WATCH LIVE TV