दुष्कर्म के आरोपी की जमानत के लिए वकील ने लांघी नियमों की मर्यादा, कोर्ट ने दिखाई नाराजगी
कोर्ट ने कहा की न्याय प्रक्रिया मे वकील का रोल अहम होता है. प्रोफेशनल एथिक्स न्याय व्यवस्था की रीढ़ होती है. संस्था और प्रोफेशन की गरिमा बनाए रखना बार और बेंच की जिम्मेदारी होती है.
मो. गुरफान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में फर्जी वकालतनामा दाखिल किए जाने का मामला सामने आया है. दुष्कर्म के आरोपी की जमानत के लिए हाईकोर्ट के अधिवक्ता रामकेर सिंह ने नियमों की मर्यादा लांघी हैं. वकील रामकेर सिंह ने अपने सहयोगी अधिवक्ता हौसला प्रसाद को नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता का वकील बनाकर कोर्ट में फर्जी वकालतनामा दाखिल करवाया ताकि आरोपी की जमानत मंजूर हो सके. रामकेर सिंह खुद दुष्कर्म के आरोपी का केस लड़ रहे हैं.
मामला खुलने के बाद जब कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की तो हौसला प्रसाद ने तो कोर्ट से माफी मांग ली. कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को दोनों वकीलों के खिलाफ कठोर से कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है.
फर्जी वकालतनामा कोर्ट मे किया दाखिल
फर्जी वकालतनामे के जरिए पीड़िता की तरफ से कोर्ट मे पेश होने पर हौसला प्रसाद ने विरोध नहीं किया. जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान पीड़िता के वकील की खामोशी पर शक गहराने पर सच्चाई सामने आई. अर्जी पर सुनवाई के दौरान पीड़िता के असली वकील ने सामने आकर आपत्ति दर्ज कराई. उसने कहा कि कहा पीड़िता के असली वकील वह हैं. कोर्ट से कहा की फर्जी वकालतनामा दाखिल कर दुष्कर्म के आरोपी की जमानत का प्रयास किया गया है.
कोर्ट ने बिना शर्त माफ़ी मागने पर फर्जी वकालतनामा दाखिल करने वाले हौसला प्रसाद को माफ़ कर दिया है. लेकिन याची अधिवक्ता राम केर सिंह के अफसोस नहीं जाहिर करने पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. सभी ऐसा करते हैंकोर्ट ने कहा हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते. कोर्ट ने फर्जी वकालतनामे को बेहद गंभीर मुद्दा बताया है. वादकारियों के विधिक अधिकारों को यह प्रभावित करता है. कोर्ट ने कहा इसे सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
रामकेर सिंह को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं
कोर्ट मे एडवोकेट रामकेर सिंह को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं दिखा. याची अधिवक्ता रामकेर सिंह ने कहा यह कोई नई बात नहीं, ये तो कामन प्रैक्टिस है. याची अधिवक्ता के इस बयान की कोर्ट ने की भर्त्सना की. कोर्ट ने कहा की वकालत के ऊंचे आदर्शो, नैतिक मूल्यों का ह्रास दुखदायी है.
बार काउंसिल के अध्यक्ष को नियमानुसार कार्रवाई का निर्देश
कोर्ट ने याची अधिवक्ता के खिलाफ यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष को नियमानुसार कार्रवाई का निर्देश दिया है. कोर्ट ने आदेश की प्रति एक्टिंग चीफ जस्टिस के समक्ष निबंधक के जरिए उचित कार्रवाई के लिए प्रेषित करने को कहा है. सभी जस्टिस, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और एडवोकेट एसोसिएशन को आदेश की प्रति भेजने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा वकालतनामे के साथ वादकारी का मोबाइल नंबर सहित स्व सत्यापित पहचान पत्र, आधार कार्ड अनिवार्य किया जाए.
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प्रोफेशनल एथिक्स न्याय व्यवस्था की रीढ़ होती है
कोर्ट ने कहा की वकालतनामा एक मूल्यवान दस्तावेज है जो वादकारियों की तरफ से वकील को उसका पक्ष रखने का अधिकार देता है इसलिए वकालतनामा संदेह से परे होना चाहिए. कोर्ट ने कहा की न्याय प्रक्रिया मे वकील का रोल अहम होता है. प्रोफेशनल एथिक्स न्याय व्यवस्था की रीढ़ होती है. संस्था और प्रोफेशन की गरिमा बनाए रखना बार और बेंच की जिम्मेदारी होती है.
दुष्कर्म के आरोपी बुलंदशहर के जावेद अंसारी की जमानत अर्जी पर याची अधिवक्ता राम केर सिंह ने फर्जीवाड़े की कोशिश की. शिकायतकर्ता का फर्जी वकालतनामा याची अधिवक्ता राम केर सिंह ने अपने सहयोगी हौसला प्रसाद के जरिए दाखिल किया था. जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई की थी.
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