मो. गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश सरकार से मदरसों को दिए जाने वाले फंड का लेकर बड़ा सवाल पूछा है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों (मदरसों) को फंड दे सकता है. कोर्ट ने पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे अनुच्छेद 25 से 30 तक प्राप्त मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मो के विश्वास को सरंक्षण दे रहें हैं.


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मदरसे धार्मिक शिक्षा व पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकतें हैं: HC 
कोर्ट ने ये भी पूछा है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 28 में मदरसे धार्मिक शिक्षा व पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकतें हैं. साथ ही स्कूलों में खेल मैदान रखने के अनुच्छेद 21 व 21ए की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या महिलाओं या छात्राओं को मदरसों में प्रवेश दिया जाता है.


क्या मदर्सों में इन मानकों का किया जा रहा पालन:HC
कोर्ट ने आगे पूछा है कि क्या मदरसों के पाठ्यक्रम, शर्ते, मान्यता का मानक और खेल मैदान की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है. कोर्ट ने सरकार से यह बताने के लिए कहा है कि क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मो के लिए कोई बोर्ड है.साथ ही धार्मिक स्कूलों में महिलाओं के आवेदन करने पर रोक है या नहीं.


बता दें कि मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की तरफ से  याचिका दाखिल की गई है. मदरसा प्रबंध समिति की तरफ से पदों के सृजन के लिए सरकार द्वारा आवेदन खारिज करने के फैसले को चुनौती दी गई है. चार सप्ताह में राज्य सरकार को जवाब दाखिल करना होगा. छः अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. जस्टिस अजय भनोट की एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई की.


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