प्रयागराज: जब आप कुछ कर गुजरने की सोचने लगते हो तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती, बस दिल में कुछ करने का जज्बा और जुनून होना चाहिए. अगर आप अच्छा काम करते हैं तो दुनिया भी साथ देती है. संगमनगरी में आदित्य कुमार सिंह भी एक ऐसे शख्स हैं जो कुछ कर गुजरने का माद्दा रखते हैं. एमबीए (MBA) की डिग्री लेने के बाद भी आदित्य अपने गांव और आसपास के इलाकों की स्थिति सुधारने के लिए संकल्पित हैं. आदित्य सबसे कम उम्र (21 साल) के ग्राम प्रधान बन गए हैं.


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पहली बार में हासिल की जीत
फूलपुर विकासखंड के मुस्तफाबाद गांव के रहने वाले आदित्य ने एमबीए जैसी प्रोफेशनल डिग्री लेने के बाद नौकरी को नहीं चुना, इसकी जगह अपने गांव की दुर्दशा को सुधारने की ठानी. उन्होंने प्रण लिया की गांव में रहकर ही बेहतर काम करेंगे. प्रयागराज (Prayagraj) में सबसे कम उम्र के आदित्य ने मंगलवार को प्रधान पद की शपथ ली. उन्होंने नौकरी न कर, चुनाव लड़ा और पहली ही बार में जीत हासिल की.


अपने खुद के पैसे गांव में लगवाई बिजली
उनके गांव में बिजली नहीं थी तो आदित्य ने अपने पैसे से विद्युतीकरण करा दिया. गांव में बिजली आई तो सभी लोग आदित्य के मुरीद हो गए. उनके नेक कामों को देखते हुए गांव वालों ने उन्हें अपना मुखिया बनाने की सोची. आदित्य को ग्राम प्रधान का चुनाव लड़वा दिया. आदित्य ने सभी का भरोसा कायम रखते हुए जीत हासिल की और वह आज प्रयागराज के सबसे कम उम्र के ग्राम प्रधान हैं.


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गांव का विकास करना ही उनकी पहली प्राथमिकता
सबसे कम उम्र के ग्राम प्रधान बनने की शपथ लेने के बाद उन्होंने मीडिया को बताया कि गांव का विकास करना ही उनकी पहली प्राथमिकता है. आदित्य का कहना है कि गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं है, उस दिशा में काम करना है. उनका कहना है कि वह अब नौकरी नहीं करेंगे. आदित्य से मीडिया ने पूछा कि एमबीए की डिग्री का क्या करेंगे तो बोले उसका उपयोग गांव के विकास और प्रबंधन में करूंगा. आदित्य ने ये भी कहा कि वह वैज्ञानिक तरीके से आर्गेनिक खेती करेंगे. 


नोएडा से किया है MBA
बता दें कि आदित्य के पिता शिवाजी सिंह इफको फूलपुर की आंवला ईकाई में वरिष्ठ प्रबंधक है. आदित्य ने केंद्रीय विद्यालय इफको फूलपुर से ही इंटरमीडिएट तक की शिक्षा ग्रहण की है. इसके बाद 2018 में एमबीए में एडमिशन लिया. इसके दो साल बाद 2020 में नोएडा से एमबीए किया है. MBA करने के बाद अपने गांव वापस आ गए और गांव की हालत देखकर, इसका विकास करने की सोची और आज इसका परिणाम है कि वो महज 21 साल की उम्र वो ग्राम प्रधान बन गए हैं.


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