प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर सरकार और अस्पतालों को कोरोना के संदिग्ध मरीजों की मौत को भी संक्रमण से होने वाली मौतों के आंकड़े में जोड़ने के निर्देश दिए हैं. हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ऐसे मामलों में शवों को बिना कोविड प्रोटोकॉल के उनके परिजनों को सौंपना बड़ी भूल होगी. 


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गांवों में कोरोना फैलने से इलाहाबाद हाई कोर्ट चिंतित, 48 घंटे में यह महत्वपूर्ण काम करने का निर्देश


हाई कोर्ट ने कहा कि अगर मृतक में हृदय रोग या किडनी की समस्या नहीं है तो उसे कोरोना संक्रमण से हुई मौत ही माना जाए. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति का स्वत: संज्ञान लिया था. उसी मामले में  मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने ये निर्देश योगी सरकार को दिए. 


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एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना संक्रमण से जेलों में अधिक भीड़ होने पर आरोपी की जान को खतरा देखते हुए कहा है कि इस समय सीमित अवधि के लिए अग्रिम जमानत देना उचित है. 


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यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ ने गाजियाबाद के प्रतीक जैन की अर्जी पर दिया है. याची एक धोखाधड़ी के केस में आरोपी बनाया गया है. हाई कोर्ट ने ऐसे आरोपियों को 3 जनवरी 2022 तक के लिए अग्रिम जमानत देने की बात कही है.


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