अयोध्या : राम की नगरी अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर उद्घाटन के लिए तैयार है. 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. आज राम मंदिर का जो स्वप्न साकार हो रहा है, उसके पीछे कई अहम किरदार हैं. ऐसा ही एक नाम है विवादित ढांचे की खोदाई से जुड़े रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक पद्मश्री डा केके मोहम्मद. दरअसल 1990 में उन्होंने सार्वजनिक रूप से कह दिया था कि खोदाई में राम मंदिर के प्रमाण मिले हैं. उनके इस बयान से कुछ कदर बवाल मचा कि नौकरी पर संकट आ गया था.


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मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि राम जन्मभूमि स्थान पर 1976-77 में पुरातत्वविद् प्रो. बीबी लाल के नेतृत्व में खोदाई हुई थी. उस खोदाई में राम मंदिर के सबूत मिले थे. मीडिया रिपोर्ट में डॉ. केके मोहम्मद के हवाले से कहा गया है कि उस वामपंथी इतिहासकार रोमिला थापर आदि ने अख़बारों में बयान दिया था कि विवादित ढांचे के नीचे कुछ नहीं मिला और ढांचा सपाट जमीन पर खड़ा है. इन लोगों ने तर्क दिया कि पुरातत्वविद् प्रो बीबी लाल को भी वहां खुदाई में ऐसा कुछ नहीं मिला. हालांकि बाद में प्रो लाल ने संबंधित अंग्रेजी अख़बार से बात की और बताया कि गलत दावा किया गया है. केके मोहम्मद के मुताबिक ''उस समय प्रो लाल के साथ खड़ा होने वाला कोई नहीं था. खोदाई करने वाली टीम में मैं अकेला मुस्लिम था.''


केके मुहम्मद ने बताया कि उस वक्त आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी. इसलिए जब उनकी टीम खुदाई करने गई तो पहले आसपास के एरिया को बाहर से देखने का काम करना था. इसलिए उन्हें मस्जिद के अंदर जाना था. वो लोग जब वहां पहुंचे, तो मस्जिद पर ताला लगा था और एक पुलिस वाला था. केके मुहम्मद के मुताबिक 1976-77 में इतना बड़ा कोई इश्यू नहीं था. उन लोगों ने वहां मौजूद पुलिस वाले से बताया कि वे लोग शोध करने वाले लोग हैं. इस पर पुलिस वाले ने उन्हें अंदर भेज दिया.


एक दूसरी मीडिया रिपोर्ट में केके मुहम्मद ने बताया ''उस वक्त आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी. इसलिए जब उनकी टीम खुदाई करने गई तो पहले आसपास के एरिया को बाहर से देखने का काम करना था. इसलिए उन्हें मस्जिद के अंदर जाना था. वो लोग जब वहां पहुंचे, तो मस्जिद पर ताला लगा था और एक पुलिस वाला था.'' केके मुहम्मद के मुताबिक ''1976-77 में इतना बड़ा कोई मुद्दा नहीं था. उन लोगों ने वहां मौजूद पुलिस वाले से बताया कि वे लोग शोध करने वाले लोग हैं. इस पर पुलिस वाले ने उन्हें अंदर भेज दिया.''


केके मुहम्मद ने मीडिया रिपोर्ट में दावा किया है कि ''उन्होंने देखा, मस्जिद के सारे पिलर्स मंदिर के थे. उन्होंने बताया कि उन पिलर्स को देखकर स्टाइलिस्टिक डेटिंग के जरिए इसका पता लगा था. मतलब किसी चीज़ को देखकर एक आर्कियोलॉजिस्ट का ये पता लगाना कि वो चीज़ किस जमाने की है. केके मुहम्मद ने बताया कि मस्जिद में 11वीं और 12वीं शताब्दी के मंदिरों के पिलर्स को दोबारा इस्तेमाल किया गया था.''