Ayodhya Ram Mandir: अयोध्‍या में भव्‍य राममंदिर का निर्माण पूरा हो गया है. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा होनी है. इससे पहले आज शनिवार को पीएम मोदी अयोध्‍या दौरे पर आए. यहां पीएम मोदी ने अयोध्‍या धाम रेलवे स्‍टेशन और महर्षि वाल्मिकी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया. कुल मिलाकर अयोध्‍या को नया रूप दिया जा रहा है. यही अयोध्‍या कभी कोसल राज्‍य की राजधानी हुआ करती थी. इतना ही नहीं अयोध्‍या साकेत के नाम से भी जानी गई. तो आइये जानते हैं अयोध्‍या के पुराने नाम कौन-कौन से हैं. 


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अयोध्‍या का इतिहास 
अयोध्या की पहचान एक प्राचीन शहर के रूप में होती है, जिसे साकेत के नाम से भी जाना जाता है. अयोध्या प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था, जिसकी राजधानी साकेत (अयोध्या) थी. अयोध्या की स्थापना प्राचीन भारतीय ग्रंथों के आधार पर ई.पू. 2200 के आसपास माना जाता है. इसका उल्लेख कई हिंदू पौराणिक ग्रंथों में मिलता है. अयोध्या नाम का उल्लेख हिंदू ग्रंथों जैसे गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस में भी मिलता है. वहीं, बौद्ध मान्यताओं के अनुसार, बुद्ध देव ने अयोध्या अथवा साकेत में 16 सालों तक निवास किया था. रामानंदी संप्रदाय का मुख्य केंद्र अयोध्या ही हुआ. 


इन नामों से जानी जाती थी अयोध्या 
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो रामायण काल में अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी हुआ करता था जिसकी वजह से बहुत से लोग इसे कोसल भी कहा जाता था. साथ ही साथ अयोध्या को अयुद्धा नाम से भी जाना गया, बाद में इसका नाम अयोध्या रख दिया गया. 


फैजाबाद से बन गया अयोध्‍या 
सरयू किनारे स्थित फैजाबाद शहर की स्थापना 18वीं शताब्दी में नवाब सआदत अली खान ने की थी. उनके उत्तराधिकारी मंसूर खान ने अयोध्या को अपना सैन्य मुख्यालय बनाया और मंसूर के बेटे शुजा-उद-दौला ने फैजाबाद को एक प्रमुख शहर के रूप में विकसित करने के अलावा अयोध्या को अवध की राजधानी बनाया. यह वह दौर था जब यह शहर अपनी बुलंदियों पर था. शुजाउद्दौला का समय एक तरह से फैजाबाद के लिए स्वर्णकाल कहा जा सकता है. अवध के चौथे नवाब आसफ-उद-दौला द्वारा 1775 में राजधानी को लखनऊ स्थानांतरित करने तक यह शहर प्रमुख रहा. 


रामायण काल में  साकेत से जाना जाता था फैजाबाद
रामायणकाल में फैजाबाद का नाम साकेत था. अयोध्‍या नगरी फैजाबाद जिले में ही आती है, जिले का नाम बदलकर अयोध्‍या कर दिया गया है. मान्यता है कि भगवान राम जब वनवास के लिए जा रहे थे तब भरत उनसे मिलने जिस जगह पर आए थे, वह फैजाबाद मुख्यालय से सिर्फ 15 किमी की दूरी पर है. यहां भरतकुंड भी है.