Ram Mandir News: घी-शक्कर और शहद से अनुष्ठान आज, जानिए क्या है प्राण प्रतिष्ठा में शर्कराधिवास, फलाधिवास-पुष्पाधिवास
Ayodhya News : रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले शनिवार को राम मंदिर में फलाधिवास और पुष्पाधिवास के साथ शर्कराधिवास पूजन होने वाला है. आइए जानते हैं क्या है इस पूजा का महत्व
अयोध्या : प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान कार्यक्रम शुरू हो चुका है. शनिवार को अनुष्ठान को पांचवा दिना है. कार्यक्रम की शुरुआत 16 जनवरी को हुई. आज का दिन इस विधि-विधान के लिए काफी खास है. आज से अस्थायी गर्भगृह में प्रभु के दर्शन नहीं होंगे. शनिवार को राम मंदिर के गर्भगृह को सरयू के पवित्र जल से स्नान कराया जाएगा, जिसके बाद वास्तु शांति और 'अन्नाधिवास' अनुष्ठान होगा. अयोध्या में आज कई खास अनुष्ठान रामलला के स्वागत से पहले किए जाएंगे.
20 जनवरी यानी कि शनिवार को शर्कराधिवास, फलाधिवास, पुष्पाधिवास पूजन (इनमें मूर्ति को कुछ समय के लिए अलग-अलग सामग्रियों में रखा जाएगा. शर्कराधिवास में रामलला की मूर्ति को चीनी के साथ रखा जाएगा. वहीं फलाधिवास में फल के साथ और पुष्पाधिवास में मूर्ति को फूलों में रखा जाएगा.
शनिवार को अनुष्ठान का क्रम भगवान गणेश व माता अंबिका के पूजन से आगे बढ़ेगा. हवन-वेद पारायण आदि होगा. प्रात: काल शर्कराधिवास, फलाधिवास होगा. इसके उपरांत 81 कलशों के औषधीय जल से सर्पण का संस्कार होगा. विग्रह को जल अर्पित किया जाना सर्पण संस्कार है. पिंडिकाधिवास, पुष्पाधिवास और सायंकाल आरती के साथ पांचवें दिन अनुष्ठान पूर्ण होगा.
विहिप के आलोक कुमार बने यजमान
शनिवार को विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार व काशी के उद्यमी सूर्यकांत जालान भी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में यजमान की भूमिका में रहेंगे. एक अन्य यजमान विहिप के अध्यक्ष डा. आरएन सिंह भी शुक्रवार शाम को अयोध्या पहुंच गए.
23 जनवरी से मिलेगी दर्शन सुविधा
अब अस्थायी गर्भगृह में भगवान रामलला का दर्शन नहीं होगा. 23 जनवरी से पुन: दर्शन नवनिर्मित भव्य दिव्य राममंदिर में दर्शन प्रारंभ होगा. वैकल्पिक गर्भगृह में विराजमान रामलला को नवर्निर्मित राममंदिर के गर्भगृह में स्थानांतरित किया जाएगा. इसके लिए स्वर्ण मंडित आधार तैयार किया गया है.
भगवान मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर पर थे
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पहले ही यह घोषणा की थी कि रामलला विराजमान को गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया जाएगा. रामलला विराजमान का विग्रह वही है, जो 22-23 दिसंबर 1949 की मध्यरात्रि जन्मभूमि पर प्रकट हुआ था. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से पहले जन्मभूमि पर भगवान मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर में थे.
कोर्ट के आदेश के बाद हुए थे स्थानांतरित
कोर्ट का निर्णय आने के बाद राममंदिर निर्माण के लिए 25 मार्च 2020 को भगवान को अस्थायी गर्भगृह में स्थानांतरित किया गया था, तब से भगवान वहीं श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे थे. शुक्रवार को 17 हजार 224 लोगों ने भगवान का दर्शन किया.
शुक्रवार को क्या हुआ खास
अयोध्या रामलला की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान चौथे दिन यज्ञ हवन के लिए बने मंडप में अग्नि प्रकट करने की प्राचीन विधि और अद्भुत नवग्रह यज्ञ का साक्षी बना. शुक्रवार को निर्धारित मुहूर्त पर सुबह नौ बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अरणि मंथन विधि से अग्निदेव को प्रकट कर अनुष्ठान की शुरुआत की गई. इस विधि में शमी व पीपल की लकड़ी के घर्षण से अग्नि प्रज्ज्वलित कराई जाती है.
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मनमोहक है नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम
मंदिर के गर्भगृह में विराजित रामलला का विग्रह अत्यंत मनमोहक है. 4.24 फीट लंबी व तीन फीट चौड़ी तथा दो सौ किलोग्राम भार की श्यामवर्णी प्रतिमा के शीर्ष भाग में स्वास्तिक, ऊं, चक्र, गदा अंकित है. अरुण योगीराज की बनाई इस प्रतिमा के दाईं ओर दशावतार में भगवान मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन व बाईं ओर परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध व कल्कि भगवान हैं. प्रतिमा के बाईं ओर नीचे के भाग में कमल व हनुमानजी की प्रतिमाएं उत्कीर्ण है.