सत्यप्रकाश/अयोध्या: अयोध्या में भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को रामला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. रामनगरी में इसको लेकर तैयारियां जोरों-शोरों पर चल रही हैं. वहीं अब श्री रामोपासना के नाम से रामलला की नई पूजा पद्धति तैयार हो गई है. जिसे रामलला के मुख्य पुजारी को सौंपा गया है.  प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की नित्य आरती, भोग और दर्शन पूजन में भी बदलाव होंगे. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की धार्मिक समिति ने नियमावली बनाई है. प्रतिदिन सुबह 4 बजे मंगला आरती से शुरू होगा और रात्रि 8 बजे शयन आरती के बाद विश्राम होगा. 


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हर दो घंटे में पिलाया जाएगा दूध
रामलाल के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि ठंड का मौसम होने के कारण 22 जनवरी को जब रामलला का प्राण प्रतिष्ठा होगी तो उन्हें मौसमी फल, खुरचन का पेड़ा के साथ पूरी सब्जी और खीर का भोग लगाया जाएगा. वहीं बताया कि हर 2 घंटे पर रामलाल एक चांदी की कटोरे में गाय का दूध भी पिलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि रामलला बालक रूप में विराजमान होंगे, इसलिए उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की भी जिम्मेदारी होती है.


तैयार की गई नई पूजा पद्धति
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविन्ददेव गिरी ने कहा कि रामानंद परंपरा में सामान्यतः सीताराम भगवान की पूजा पद्धति मिलती है, लेकिन यहां की परिस्थिति कुछ विशेष है. इस स्थान पर पंचवर्षीय भगवान श्री रामलला की पूजा की जानी है. इसलिए इनकी कुछ पद्धति में बदलाव किया जाना चाहिए था. जिसको लेकर सनातन, संस्कृति और परंपरा की विधि को संभालते हुए नई पूजा पद्धति तैयार की गई है. जिसके लिए यहां के कई अच्छे विद्वान इसके लिए लगे हुए हैं.


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सुबह 4 बजे से होगा आरंभ
रामलला की नई पूजा पद्धति लगभग तैयार हो गई है. उन्होंने कहा कि सुबह 4 बजे से आरंभ होगा और शयन तक अनेक प्रकार विधान है. पहले मंगल आरती फिर श्रृंगार आरती के बाद राजभोग होगा. दोपहर की आरती भोग होगा और शायनकल की आरती होगी. फिर उसके बाद शयन आरती के बाद भगवान विश्राम करेंगे. कहा कि वह राजकुमार हैं और सभी के कर्ताधर्ता है, इसलिये बड़ी सेवा किया जाएगा.


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