Arun Yogiraj: कौन हैं रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज? पहले भी दिखा चुके हैं हाथों का कमाल
Who Is Arun Yogi: अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में कर्नाटक के जानेमाने मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई गई रामलला की मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. योगीराज इससे पहले भी अपने हाथों का जादू दिखा चुके हैं. जानें कौन हैं योगीराज जिनके प्रधानमंत्री मोदी भी हैं प्रशंसक....
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर में जिस मूर्ति को विराजमान किया जाएगा उसका निर्माण मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार और भारत में सबसे ज्यादा डिमांड वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. अरुण योगीराज की कला के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रशंसक हैं.
मूर्ति का चयन
22 जनवरी 2024 को भगवान श्रीराम के मंदिर में प्राण- प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होना है. जैसे- जैसे यह दिन पास आ रहा है लोगों में रामलला को देखने की इच्छा बढ़ती जा रही है. 22 जनवरी के दिन मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने वाले रामलला की मूर्ति का चयन भी हो चुका है. 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति भव्य राम मंदिर में लगाई जाएगी. भगवान राम की यह मूर्ति कर्नाटक के जाने-माने मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है. इस बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति के चयन को अंतिम रूप दे दिया गया है. हमारे देश के प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज अरुण द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति अयोध्या में स्थापित की जाएगी.’
कौन हैं अरुण योगीराज?
अरुण योगीराज 37 साल के हैं और मैसूरु महल के शिल्पकारों के परिवार से आते हैं. उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए किया है. अरुण अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं. अरुण के पिता योगीराज भी एक कुशल मूर्तिकार हैं. वे गायत्री मंदिर और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए काम कर चुके हैं.
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कौन हैं अरुण योगीराज?
वहीं उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण मिला हुआ था. अरुण बचपन में ही नक्काशी के काम से जुड़ गए थे. अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में काम किया, लेकिन फिर मूर्तिकार बनने के लिए 2008 में अरुण ने नौकरी छोड़ दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अरुण योगीराज की प्रतिभा की तारीफ कर चुके हैं. दरअसल इंडिया गेट पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति भी अरुण ने ही तराशी है. उन्होंने केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का भी निर्माण किया है. साथ ही, मैसूरु में महाराजा जयचामराजेंद्र वडेयार की 14.5 फुट की सफेद संगमरमर की प्रतिमा, महाराजा श्री कृष्णराज वाडियार-IV और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद संगमरमर की मूर्ति भी बनाई है.
प्रसिद्ध मैसूर मूर्तिकार अरुण योगीराज
प्रसिद्ध मैसूर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि राम लला के लिए उनकी बनाई गई मूर्ति को अयोध्या के राम मंदिर गर्भगृह में प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. पीढ़ियों की विरासत का पालन करते हुए, अरुण योगीराज ने 11 साल की उम्र में पत्थरों से सुंदर मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया और 2006 में देवी दुर्गा की अपनी पहली मूर्ति बनाई. योगीराज ने अपने कारीगरों के साथ लगभग 26,000 घंटे तक काम करके 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा बनाई. मैसूर के प्रतिभाशाली मूर्तिकार ने कुशलतापूर्वक युवा भगवान कृष्ण का मक्खन का आनंद लेते हुए एक आकर्षक चित्रण तैयार किया है, जो जटिल पारंपरिक आभूषणों से सुसज्जित है, सभी को पत्थर से सावधानीपूर्वक उकेरा गया है.
अरुण योगीराज द्वारा तांडव मुद्रा में भगवान शिव
योगिराज ने भगवान शिव के "आनंद तांडव" को एक पत्थर से उकेरा है, जिसमें भगवान को आनंदमय रूप में दर्शाया गया है. मैसूरु रेलवे स्टेशन पर अरुण की कांस्य प्रतिमा भी योगीराज के द्वारा बनाई गई है. यदि आप मैसूरु रेलवे स्टेशन गए हैं तो आपने अरुण योगीराज की शानदार रचना देख सकते हैं जिन्होंने "जीवन एक यात्रा है" अवधारणा के साथ एक कांस्य प्रतिमा बनाई है. भगवान हनुमान की 21 फीट ऊंची मूर्ति बनाने से पहले, योगीराज ने प्रकाश के परिप्रेक्ष्य, कोण और प्रभावों का अध्ययन करने के लिए एक छोटा पत्थर का मॉडल बनाया. अरुण योगीराज ने केदारनाथ में 12 फीट ऊंची प्रसिद्ध आदि शंकराचार्य की मूर्ति भी बनाई है, जिसका वजन 35 टन है.